मध्य प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में नए सत्र की शुरुआत के साथ ही Digi Locker Migration को लेकर असमंजस बढ़ गया है। कई संस्थानों ने डिजी लॉकर की कॉपी को अमान्य मानकर छात्रों को सीधे-सीधे हार्ड कॉपी जमा करने का निर्देश जारी कर दिया है, जबकि ज्यादातर विद्यार्थियों के पास अभी केवल डिजिटल दस्तावेज ही उपलब्ध हैं।
कॉलेजों का तर्क और दबाव
कई कॉलेज प्रशासन यह कहकर बचाव की कोशिश कर रहे हैं कि तकनीकी विश्वविद्यालय की ओर से “Hard Copy Preference” का निर्देश मिला है। इसी आधार पर छात्रों को 100 रुपये के स्टांप पर शपथ पत्र बनवाने को मजबूर किया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों पर अतिरिक्त आर्थिक और मानसिक बोझ पड़ रहा है, जो प्रवेश प्रक्रिया को और जटिल बना देता है।
Digi Locker Migration: लग-अलग नियमों से बढ़ी उलझन
इसी बीच एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान IET ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने ना तो माइग्रेशन सर्टिफिकेट मांगा है और ना ही किसी प्रकार के शपथ पत्र की मांग की है। यहां केवल टीसी जमा करने पर जोर दिया जा रहा है। इससे यह साफ होता है कि प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में नियमों को लेकर “Mixed Guidelines” लागू की जा रही हैं, जिनसे छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है।
विश्वविद्यालय ने मानी कॉलेजों की मनमानी
तकनीकी विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि डिजी लॉकर भारत सरकार का अधिकृत प्लेटफॉर्म है और उसके दस्तावेज पूरी तरह वैध माने जाते हैं। विश्वविद्यालय ने छात्रों से अपील की है कि यदि कोई संस्थान Digi Locker Migration को अमान्य बताकर दबाव बना रहा है, तो विद्यार्थी सीधे शिकायत दर्ज कराएं।
Digi Locker Migration: प्रक्रिया से बढ़ती परेशानी
विद्यार्थियों का कहना है कि प्रवेश प्रक्रिया पहले से ही लंबी और जटिल होती है, ऐसे में अतिरिक्त शपथ पत्र और कागजी औपचारिकताएं अनावश्यक तनाव पैदा कर रही हैं। विश्वविद्यालय ने संकेत दिया है कि यदि शिकायतें जारी रहती हैं, तो इस मुद्दे पर नया आदेश जारी कर कॉलेजों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
एकरूपता की कमी बनी मुख्य वजह
पूरी स्थिति यह दर्शाती है कि एक समान नियम न होने के कारण विद्यार्थी सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं, जबकि डिजी लॉकर के दस्तावेज पहले से ही सरकारी स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं। आवश्यकता केवल इतनी है कि संस्थानों में नियमों की स्पष्टता लाई जाए, जिससे नए सत्र के छात्रों की मुश्किलें कम हो सकें।


