सीजी भास्कर, 9 दिसंबर। प्रदेश में लगभग 500 करोड़ रुपये के डीएमएफ घोटाले (DMF Scam Chhattisgarh) की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) करेगी। खनिज विभाग के निदेशक रजत बंसल ने बिलासपुर संभाग आयुक्त को निर्देश दिए हैं कि सभी संदिग्ध परियोजनाओं की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की जाए और किसी भी अनियमितता का पता लगाया जाए। यह कदम पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर द्वारा पीएमओ और सीबीआइ में की गई शिकायतों के बाद उठाया गया।
जांच प्रक्रिया पहले ईडी (ED, EOW, Financial Irregularities) के तहत शुरू हुई थी। ईडी की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। कोरबा डीएमएफ फंड से टेंडर आवंटन में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ। जांच में यह भी पता चला कि टेंडरकर्ताओं संजय शिंदे, अशोक अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलियों मनोज द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पीयूष साहू, अब्दुल और शेखर के माध्यम से अवैध लाभ कमाए गए।
जांच में यह तथ्य सामने आया कि अधिकारियों और राजनीतिक रसूखदारों को 25 से 40 प्रतिशत तक कमीशन दिया गया, जिसकी एंट्री फर्जी आवासीय बिलों (Accommodation Bills, Commission Scam, Fraud Entry) में की गई। खनिज विभाग ने कहा कि सभी दस्तावेजों और वित्तीय रिकॉर्ड की जांच प्राथमिकता से की जाएगी, ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस घोटाले में शामिल लोगों की संख्या और धन राशि बड़ी होने के कारण CBI Investigation से पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित होगी। राज्य सरकार ने भरोसा जताया है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बचाया नहीं जाएगा और भविष्य में ऐसे घोटालों पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। इस घोटाले की जांच से ना केवल DMF Fund के सही उपयोग की दिशा में सुधार होगा, बल्कि खनिज क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण भी संभव होगा ।


