सीजी भास्कर, 25 नवंबर। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर जारी नई व्यवस्था पर शिक्षक संगठनों के विरोध के बाद शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह प्रणाली सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही लागू की गई है (Dog Control Rules)। संगठनों का कहना था कि शिक्षकों और प्राचार्यों पर कुत्तों की निगरानी का अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है, लेकिन विभाग का कहना है कि यह सुरक्षा और कानूनी अनुपालन की अनिवार्य प्रक्रिया है।
शिक्षा विभाग के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय और पशुधन विकास विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक अब प्रत्येक स्कूल में प्राचार्य या संस्था प्रमुख को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है (Supreme Court Dog Safety Guidelines)। उनका दायित्व होगा कि यदि स्कूल परिसर या आसपास आवारा कुत्ते दिखाई दें, तो वे तुरंत ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग कैचर नोडल अधिकारी को सूचना दें। साथ ही स्कूल के गेट और परिसर में कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए अवरोधक व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाएगी ।
Dog Control Rules तत्काल अस्पताल भेजना जरूरी
यदि किसी बच्चे को आवारा कुत्ता काट लेता है तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाने की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी, ताकि समय पर प्राथमिक उपचार मिल सके (Child Safety Measures)। विभाग ने साफ किया कि इसका उद्देश्य शिक्षकों पर बोझ डालना नहीं बल्कि स्कूलों में भयमुक्त वातावरण सुनिश्चित करना है।
शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों बीईओ, बीआरसी, सीआरसी और स्कूल प्रबंधन समितियों को निर्देश दिया है कि वे इस आदेश का कड़ाई से पालन करें। विभाग का कहना है कि यह अभियान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप पूरे प्रदेश में संवेदनशीलता और तत्परता के साथ लागू किया जा रहा है, ताकि किसी भी बच्चे की सुरक्षा से समझौता न हो।
