सीजी भास्कर 24 जुलाई
मुंबई। देश के मशहूर उद्योगपति अनिल अंबानी एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर आ गए हैं। ईडी ने यस बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में गुरुवार को देशभर के 40 से 50 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की है। यह कार्रवाई अनिल अंबानी और उनके रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (RAAGA) की कंपनियों से जुड़ी है।
सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी लगभग 3000 करोड़ रुपये के संदिग्ध लोन डायवर्जन और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच से जुड़ी है, जो 2017 से 2019 के बीच यस बैंक द्वारा दिए गए कॉर्पोरेट लोन से संबंधित है।
क्या है पूरा मामला?
ईडी की यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और अनिल अंबानी को ‘फ्रॉड’ घोषित किए जाने के कुछ ही दिन बाद सामने आई है। हाल ही में SBI ने RBI के दिशा-निर्देशों के तहत RCOM को धोखाधड़ी श्रेणी में डाल दिया था, और अब वह CBI में भी शिकायत दर्ज कराने की तैयारी में है।
ईडी की टीमें मुंबई और दिल्ली में फैलीं RAAGA ग्रुप की कंपनियों के ऑफिस और संबंधित परिसरों पर तलाशी अभियान चला रही हैं। हालांकि अनिल अंबानी के निजी आवास पर कोई रेड नहीं हुई है।
सेबी और अन्य संस्थाओं की रिपोर्टों के आधार पर कार्रवाई
यह जांच सिर्फ ईडी की नहीं है। इसमें सेबी (SEBI), राष्ट्रीय आवास बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, और नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) जैसी कई संस्थाओं की रिपोर्ट और इंटेलिजेंस इनपुट शामिल हैं।
SEBI ने अपनी जांच में पाया कि रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) की लोन बुक में साल दर साल असामान्य बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2017-18 में जहां लोन वितरण 3,742.60 करोड़ था, वहीं अगले साल 2018-19 में यह बढ़कर 8,670.80 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इसी संदिग्ध ट्रांजेक्शन पर अब ईडी की जांच केंद्रित है।
मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वतखोरी के भी संकेत
सूत्रों के मुताबिक, ईडी को शक है कि इन लोन की रकम को समूह की अन्य कंपनियों में घुमा-फिराकर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। साथ ही, यस बैंक के पूर्व प्रवर्तकों से जुड़ी संस्थाओं को भी संदिग्ध फंड ट्रांसफर किए गए थे। रिश्वतखोरी के पहलू की भी जांच की जा रही है।
आगे क्या?
अब तक की कार्रवाई सिर्फ शुरुआत मानी जा रही है। ईडी की टीमें छापेमारी में मिले दस्तावेजों और डिजिटल डेटा की जांच कर रही हैं। अगर मनी ट्रेल पूरी तरह साबित होती है, तो अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर बड़ा वित्तीय अपराध का मामला बन सकता है।