सीजी भास्कर, 6 सितंबर। छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रिक बस (Electric Bus Crisis Chhattisgarh) योजना अब गंभीर संकट में है। केंद्र सरकार ने बसों के लिए धनराशि जारी कर दी, लेकिन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी ने इसे ठप कर दिया है। राज्य में केवल 215 ई-बसें संचालित हो पा रही हैं, जबकि पिछले पांच महीने से टेंडर प्रक्रिया और अन्य तैयारियां लटकी हुई हैं।
शहरी विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, ओडिशा में 450, पश्चिम बंगाल में 391 और आंध्र प्रदेश में 238 ई-बसें सफलतापूर्वक चल रही हैं। देश में सबसे अधिक ई-बसें दिल्ली (3,564), महाराष्ट्र (3,296), कर्नाटक (2,236) और उत्तर प्रदेश (850) में संचालित हैं। कुल 14,329 ई-बसें देशभर में चल रही हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में चार्जिंग सुविधा की कमी (Electric Bus Crisis Chhattisgarh) गंभीर बाधा बन गई है।
प्रदेश में लगभग 290 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इनमें से रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर जिलों में करीब 50 प्रतिशत चार्जिंग स्टेशन हैं। बाकी जिलों में चार्जिंग प्वाइंट कम हैं। अधिकारियों ने निर्देश दिए हैं कि सभी विक्रय स्थलों पर चार्जिंग प्वाइंट स्थापित किए जाएं, ताकि ई-बसें सुचारू रूप से चल सकें।
परिवहन विभाग ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत पिछले महीने ई-वाहन निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इसमें पेट्रोल पंप और ई-वाहन विक्रेताओं से चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने पर जोर दिया गया। योजना का उद्देश्य केवल बसें चलाना नहीं, बल्कि पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी उपलब्ध कराना है।
आने वाले वर्षों में राज्य में 1,000 से अधिक ई-बसें बढ़ाने की योजना है। अधिकारियों का कहना है कि चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने से संचालन क्षमता में संतुलन बनेगा और योजना की सफलता सुनिश्चित होगी। इस मुद्दे ने राज्य में इलेक्ट्रिक बस योजना (Electric Bus Crisis Chhattisgarh) को सीधे सुर्खियों में ला दिया है।