सीजी भास्कर, 22 नवंबर। जिले के कोरबा व कटघोरा वनमंडल के जंगलों में इन दिनों करीब 100 जंगली हाथी (Elephant Crop Damage) सक्रिय हैं। हाथियों का यह दल लगातार फसलों को रौंदकर अनाज उत्पादक ग्रामीणों के सपनों पर पानी फेर रहा है। पककर तैयार धान की फसल को चौपट करने की घटनाएं रोजाना बढ़ रही हैं, जिससे किसानों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। वन विभाग और प्रशासन से बार-बार गुहार के बावजूद किसानों को अब तक कोई ठोस राहत नहीं मिल पाई है (Farmer Protest)।
कटघोरा वनमंडल के एतमानगर रेंज के पचरा क्षेत्र में 53 हाथी डेरा जमाए हुए हैं। क्षेत्र में पर्याप्त चारा और पानी होने के कारण यह दल करीब पंद्रह दिनों से यहीं ठहरा है (Korba Elephant Movement)। दिनभर जंगल में रहने के बाद हाथी शाम होते ही गांवों के आसपास स्थित खेतों में पहुँचकर पककर तैयार धान को खा जाते हैं और शेष फसल को रौंदकर नष्ट कर देते हैं।
वहीं कोरबा वनमंडल के बालकोनगर रेंज में 12 हाथी, और करतला रेंज में 28 हाथी सक्रिय हैं। बीती रात बालको रेंज के हाथी कछार गांव तक पहुंच गए। इससे पहले उन्होंने मछलीभाठा क्षेत्र में धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। करतला रेंज के नोनबिर्रा सर्किल में सक्रिय 28 हाथियों ने बांधापाली और केरवाद्वारी गांव में डेढ़ दर्जन से अधिक किसानों की फसल को बर्बाद कर दिया (Wild Elephant Conflict)।
सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर निगरानी शुरू कर दी है और नुकसान का आकलन किया जा रहा है। लेकिन अंतिम समय में हाथियों द्वारा फसल चौपट किए जाने से अन्नदाताओं में अत्यधिक नाराजगी है। कई किसानों ने मेहनत से तैयार हुई धान फसल से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति, बच्चों की शादी और अन्य पारिवारिक कार्यक्रमों की योजना बनाई थी, मगर हाथियों के दंगल ने उनके सपनों को ध्वस्त कर दिया है।
