सीजी भास्कर, 4 जुलाई। False Rape Case India : अदालत ने एक महिला द्वारा दायर दुष्कर्म के झूठे मामले को साजिश करार देते हुए उसके खिलाफ शपथ लेकर झूठा बयान देने का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने टिप्पणी की कि महिला ने शादी का झांसा देकर योजनाबद्ध तरीके से आरोपित को फंसाया और आर्थिक लाभ उठाने की कोशिश की। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि झूठे दुष्कर्म मामले न केवल असली पीड़ितों को न्याय से दूर करते (False Rape Case India)हैं, बल्कि निर्दोषों की सामाजिक प्रतिष्ठा को भी हमेशा के लिए बर्बाद कर देते हैं। उन्होंने कहा कि समाज अक्सर आरोप को याद रखता है, निर्दोष साबित होने को नहीं। अदालत ने पाया कि महिला पहले भी चार अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ दुष्कर्म के मामले दर्ज करा चुकी है, जिससे उसकी मंशा पर गंभीर सवाल उठते हैं।
यह मामला एक मैट्रीमोनियल वेबसाइट से शुरू हुआ था, जहां दोनों की पहचान हुई। महिला ने आरोप लगाया कि पहली मुलाकात में आरोपी ने कार में उसके साथ गलत हरकत की और उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें खींचीं। दूसरी मुलाकात में उसने जबरन यौन संबंध बनाए। अदालत ने पाया कि महिला की गवाही विरोधाभासी, असंगत और पूरी तरह मनगढ़ंत (False Rape Case India)थी। अदालत ने महिला के खिलाफ बीएनएसएस की धारा 379 (कोर्ट को झूठे साक्ष्य और न्याय में बाधा डालने वाले मामलों में कार्यवाही शुरू करने का अधिकार) के तहत मुकदमा दर्ज कर मामला मुख्य महानगर दंडाधिकारी (सेंट्रल) को सौंपने का निर्देश दिया।
पुलिस की कार्रवाई पर भी उठाया सवाल
कोर्ट ने आरोपित की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज होने से पहले ही उसे घर से उठा लिया, जिससे उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन हुआ। अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर इस मामले में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों पर उचित कार्रवाई करें, ताकि शांति, सेवा, न्याय का आदर्श सिर्फ नारे तक सीमित न (False Rape Case India)रहे।
महिला पहले भी चार अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ दुष्कर्म के मामले दर्ज करा चुकी है, जिससे उसकी मंशा पर गंभीर सवाल उठते हैं। ऐसी स्थितियों में कानून का दायित्व है कि वह निर्दोष की गरिमा की भी रक्षा करे।