सीजी भास्कर 5 मार्च चंडीगढ़ में आज किसानों का मार्च प्रस्तावित है. किसान संगठनों ने अगले एक हफ्ते तक धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया है. इस बीच, पंजाब की भगवंत मान सरकार अलर्ट हो गई है और किसान नेताओं पर एक्शन लेना शुरू कर दिया है. कई किसान नेता पुलिस हिरासत में हैं या नजरबंद रखे गए हैं. वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की है.
इधर, चंडीगढ़ पुलिस ने आंदोलन को देखते हुए ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है.गुरुमीत सिंह मेहमा और राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला समेत प्रमुख किसान नेताओं के घरों पर पुलिस की छापेमारी की गई है.SKM की पंजाब के किसानों से अपीलकिसान यूनियन ने कहा, शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार नागरिकों का मौलिक अधिकार है और विरोध की अनुमति न देने का राज्य सरकार का तानाशाही रवैया पंजाब के लोगों द्वारा कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. एसकेएम ने पंजाब भर के किसानों से चंडीगढ़ में सप्ताह भर चलने वाले विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की.एसकेएम नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने किसान नेताओं से चंडीगढ़ चलने का आह्वान किया.
उन्होंने किसानों से कहा कि अगर वे चंडीगढ़ जाते समय पुलिस द्वारा रोके जाते हैं तो वे खाली जगह पर बैठ जाएं ताकि कोई भी सड़क अवरुद्ध ना हो. उन्होंने कहा, पंजाब सरकार यह दावा करके हमें बदनाम करना चाहती है कि उन्होंने सड़कें अवरुद्ध कर दी हैं.किसान नेताओं और विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई के लिए AAP सरकार की आलोचना की. किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए पंजाब सरकार और एसकेएम नेताओं के बीच बातचीत सोमवार को असफल रही. किसान नेताओं ने दावा किया कि मान गुस्से में बैठक से बाहर चले गए.सीएम भगवंत मान ने क्या कहा?
वहीं, सीएम भगवंत मान ने कहा कि बातचीत के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं लेकिन आंदोलन के नाम पर जनता को असुविधा और उत्पीड़न से बचना चाहिए. किसान नेताओं के साथ अपनी बैठक पर मान ने कहा, मैंने उनसे कहा था कि हर दिन आप रेल रोको विरोध प्रदर्शन करते हैं और सड़कें अवरुद्ध करते हैं जिससे पंजाब को आर्थिक रूप से भारी नुकसान होता है और पंजाब धरना राज्य बनता जा रहा है. विभिन्न किसान संगठनों के बीच श्रेय लेने की लड़ाई है जो समानांतर सरकार चलाकर अराजकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने दोहराया कि सरकार समाज के विभिन्न वर्गों से संबंधित मुद्दों को बातचीत के जरिए हल करने के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन रेल या सड़क अवरोधों के जरिए आम लोगों को असुविधा की अनुमति नहीं दी जा सकती है.किसान संगठनों की मांगें क्या हैं?एसकेएम ऋण निपटान के लिए एक कानून बनाने, हर खेत तक नहर का पानी सुनिश्चित करने, गन्ना बकाया का भुगतान करने और भारतमाला परियोजनाओं के लिए भूमि के कथित जबरन अधिग्रहण को रोकने की भी मांग कर रहा है.