सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित कलेक्टर–डीएफओ संयुक्त कॉन्फ्रेंस में प्रदेश के वन प्रबंधन, तेंदूपत्ता संग्राहकों के हित, लघु वनोपजों के मूल्य संवर्द्धन (Minor Forest Produce Development Chhattisgarh), ईको-टूरिज्म, औषधीय पौधों की खेती और वनों से जुड़ी आजीविका के विविध आयामों पर विस्तृत चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक हितग्राहियों की संख्या अब 12 लाख से अधिक हो चुकी है, जो सामूहिक प्रयासों की सफलता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि अब आवश्यकता इस बात की है कि राज्य में वन उपज का अधिकतम वैल्यू एडिशन किया जाए और वन धन केंद्रों की संख्या (Minor Forest Produce Development Chhattisgarh) में वृद्धि की जाए, ताकि ग्रामीणों को अधिक आय के साधन मिल सकें और वे आत्मनिर्भर बनें।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि प्रदेश में 46 प्रतिशत वन आवरण हो चुका है, जो लगभग दो प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि में कैम्पा योजना और “एक पेड़ मां के नाम” जैसी अभिनव पहल का बड़ा योगदान है। बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान सात से पंद्रह दिनों के भीतर सुनिश्चित किया जाए। साथ ही भुगतान की जानकारी एसएमएस के माध्यम से संग्राहकों तक पहुंचाई जाए, ताकि व्यवस्था पारदर्शी बनी रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स को विशेष प्रोत्साहन (Minor Forest Produce Development Chhattisgarh) दिया जाएगा। वन धन केंद्रों को सुदृढ़ बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी जाएगी। साथ ही छत्तीसगढ़ हर्बल और संजीवनी ब्रांड के उत्पादों को शहरी और ग्रामीण बाजारों में तेजी से बढ़ाने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि उत्पादों के जैविक प्रमाणीकरण (Organic Certification) की प्रक्रिया को प्राथमिकता से पूरा किया जाए, ताकि स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान मिल सके।
कॉन्फ्रेंस में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि और उद्यानिकी विभाग के सहयोग से नई योजना तैयार करने पर सहमति बनी। धमतरी, मुंगेली और जीपीएम जिलों में औषधीय पौधों की खेती का विस्तार किया जाएगा। औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ ने बताया कि यह पहल न केवल लोगों की आजीविका बढ़ाएगी बल्कि पारंपरिक उपचार पद्धतियों के संरक्षण में भी मदद करेगी।
वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि बस्तर और सरगुजा संभागों में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे आजीविका से जोड़ने के लिए ठोस रणनीति बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अब 75 प्रकार की लघु वनोपजों की खरीदी करने जा रही है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिलेगी। लाख उत्पादन में छत्तीसगढ़ पहले ही देश में दूसरा स्थान रखता है और लक्ष्य है कि इसे पहले स्थान पर लाया जाए।
मुख्यमंत्री साय ने अंत में कहा कि वन और वनवासियों का विकास एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। यदि वनोपज का वैज्ञानिक उपयोग किया जाए, तो यह आत्मनिर्भरता (Minor Forest Produce Development Chhattisgarh) और हरित अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बनेगा।