सीजी भास्कर, 5 नवंबर। भारत में आर्थिक असमानता नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता (G20 Inequality Report) में तैयार की गई जी-20 (G20) की एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों की संपत्ति वर्ष 2000 से 2023 के बीच 62 प्रतिशत (62% wealth rise) बढ़ी है। वहीं चीन में यह बढ़ोतरी 54 प्रतिशत रही।
यह रिपोर्ट नोबेल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिग्लिट्ज (Joseph Stiglitz) के नेतृत्व में तैयार की गई है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि वैश्विक असमानता (global inequality) अब “आपात स्तर” पर पहुंच चुकी है। यह स्थिति लोकतंत्र, आर्थिक स्थिरता और जलवायु परिवर्तन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
जी-20 की स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति में अर्थशास्त्री जयति घोष, विनी ब्यानिमा और इमरान वालोदिया शामिल हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि 2000 से 2024 के बीच दुनिया के सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों ने सृजित सभी नई संपत्तियों का 41 प्रतिशत (G20 Inequality Report) हिस्सा अपने पास कर लिया, जबकि वैश्विक आबादी के निचले आधे हिस्से को केवल 1 प्रतिशत मिला।
रिपोर्ट में कहा गया है कि “अत्यधिक असमानता (extreme inequality)” कोई अपरिहार्य परिस्थिति नहीं, बल्कि एक “राजनीतिक विकल्प” है, जिसे मजबूत नीति-निर्माण और वैश्विक समन्वय से कम किया जा सकता है।
भारत और चीन ने बदला वैश्विक जीडीपी संतुलन
रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन जैसे आबादी वाले देशों में प्रति व्यक्ति आय (G20 Inequality Report) में वृद्धि ने अंतर-देशीय असमानता को कुछ हद तक कम किया है। इसी के कारण धनी देशों की वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सेदारी घटी है। हालांकि, यह राहत केवल सांख्यिकीय है क्योंकि अधिकांश विकासशील देशों में आंतरिक आय असमानता (domestic income inequality) और बढ़ी है।
IPI के गठन का सुझाव, वैश्विक असमानता पर नजर
रिपोर्ट में कहा गया है कि जी-20 देशों को एक “अंतर्राष्ट्रीय असमानता पैनल (G20 Inequality Report)” गठित करना चाहिए। यह निकाय जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) की तर्ज पर काम करेगा और सरकारों को असमानता, संपत्ति वितरण और गरीबी के आधिकारिक डेटा उपलब्ध कराएगा। दक्षिण अफ्रीका की जी-20 अध्यक्षता के दौरान IPI की स्थापना को लेकर चर्चा शुरू की जाएगी।
वैश्विक गरीबी में कमी लगभग थमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से वैश्विक गरीबी में कमी (global poverty reduction) लगभग रुक गई है और कुछ क्षेत्रों में उलटफेर भी हुआ है। वर्तमान में 2.3 अरब लोग खाद्य असुरक्षा (food insecurity) का सामना कर रहे हैं जो 2019 की तुलना में 33.5 करोड़ अधिक हैं। इसके अलावा, दुनिया की आधी आबादी अब भी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित है और 1.3 अरब लोग स्वास्थ्य खर्चों के कारण गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
