सीजी भास्कर, 23 जुलाई : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के गरियाबंद तहसील अंतर्गत ग्राम कोदोबतर के पटवारी आशीष चतुर्वेदी को भूमि संबंधी जांच रिपोर्ट में कथित लापरवाही बरतने के आरोप में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आवेदक गरियाबंद निवासी रिजवान मेमन द्वारा ग्राम कोदोबतर के खसरा संख्या 184 एवं 185 को व्यावसायिक प्रयोजन हेतु परिवर्तित किए जाने संबंधी आवेदन प्रस्तुत किया गया है, जो वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।
उक्त प्रकरण के संबंध में न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी (रा०) गरियाबंद के द्वारा वांछित 27 बिन्दु जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु आपको पत्र जारी किया गया था। जिसके संबंध में आपके द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के कंडिका 04 में आवेदित भूमि शासन द्वारा आबंटित भूमि नहीं होना उल्लेख किया गया है। आवेदित भूमि स्थित ग्राम कोदोबतर, प.ह.नं. 01 खसरा नम्बर 184, 185 रकबा कमशः 0.50, 0.30 हेक्टेयर का रिनम्बरिंग सूची के अनुसार पुराना खसरा नम्बर 57 एवं 58 है। जिसमें वर्ष 1955-56 के अधिकार अभिलेख में खसरा नम्बर 57 बडे झाड का जंगल एवं खसरा नम्बर 58 घास मद में दर्ज है।
इसके साथ ही उक्त पुराना खसरा नम्बर 57, 58 वर्ष 1974-75 से 1978-79 के खसरा पांचसाला में खसरा नम्बर 57 बडे झाड का जंगल मद से काबिल काश्त एवं खसरा नम्बर 58 घास मद से काबिल काश्त होना पाया गया है तथा वर्ष 1983- 84 के राजस्व रिकार्ड में खसरा नम्बर 57/2 एवं खसरा नम्बर 58 भूमिस्वामी हक में दर्ज है। आपके द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में भूमि खसरा नम्बर 57 एवं 58 का मद में परिवर्तन एवं शासन द्वारा भूमि आबंटित होने के संबंध में जानकारी छिपाकर गलत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया है ।
जो एक शासकीय सेवक द्वारा अपने कार्य के प्रति घोर लापरवाही का द्योतक है एवं शासन के प्रति कर्तव्यनिष्ठ एवं अपने उच्च अधिकारी के प्रति सन्निष्ठ होना नही दर्शाता है। उक्त कृत्य छ०ग० सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 में दिये गये प्रावधानों के विपरीत है। छ०ग० सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जावें। उक्त संबंध में 24 घंटे के भीतर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व गरियाबंद के समक्ष स्वयं उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है। अन्यथा एकपक्षीय कार्यवाही की जाएगी।