सीजी भास्कर, 11 सितंबर। प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए स्पष्ट कर दिया है कि आगामी अक्टूबर माह से नियुक्त होने वाले शासकीय सेवकों को नवा रायपुर आने-जाने के लिए निश्शुल्क बस पास की सुविधा नहीं दी जाएगी। वित्त विभाग ने इस संबंध में सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों को पत्र भेजा है। वित्त सचिव मुकेश बंसल ने पत्र में उल्लेख किया है कि यह कदम (Government Decision) बस सुविधा पर शासन द्वारा वहन किए जा रहे खर्च को धीरे-धीरे समाप्त करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
फिलहाल प्रदेश सरकार हर कर्मचारी पर औसतन 2500 रुपये प्रतिमाह का व्यय कर रही है। वर्ष 2012 से यह सुविधा सामान्य प्रशासन विभाग के बजट से चलाई जा रही थी। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि आने वाले समय में इस अतिरिक्त बजटीय भार को हटाकर वित्तीय अनुशासन पर जोर दिया जाएगा। नई नीति के लागू होने से नए नियुक्त शासकीय सेवकों को पहले से उपलब्ध निश्शुल्क बस पास या वाहन भत्ते का विकल्प नहीं मिलेगा।
सरकार का कहना है कि यह बदलाव इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि अब रायपुर से नवा रायपुर के बीच सार्वजनिक परिवहन साधन बेहतर हो चुके हैं। यहां नियमित बस सेवा उपलब्ध है और रायपुर-अभनपुर मेमू ट्रेन भी संचालित की जा रही है। इसके अलावा नवा रायपुर अटल नगर में आधुनिक और विकसित आवासीय क्षेत्र पूरी तरह तैयार हैं। इस कारण कर्मचारियों को कामकाज के लिए आने-जाने में सुविधा रहेगी और आवासीय जरूरतों में भी दिक्कत नहीं होगी। यही वजह है कि सरकार ने इस योजना को समाप्त करने का निर्णय (Policy Change) लिया है।
अधिकारियों का मानना है कि इस फैसले से भविष्य में प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर सकारात्मक असर पड़ेगा। हर महीने बस पास पर खर्च होने वाले करोड़ों रुपये अब अन्य आवश्यक कार्यों और योजनाओं पर खर्च किए जा सकेंगे। वित्त विभाग का कहना है कि यह निर्णय किसी प्रकार का अचानक लिया गया कदम नहीं है, बल्कि इस पर लंबे समय तक विचार-विमर्श किया गया है।
गौरतलब है कि अब तक रायपुर से नवा रायपुर मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों-कर्मचारियों को यह सुविधा मिल रही थी। उन्हें या तो निश्शुल्क बस पास मिलता था या फिर वाहन भत्ते का विकल्प दिया जाता था। यहां तक कि नवा रायपुर में रहने वाले कर्मचारी भी रायपुर आने-जाने के लिए इनमें से किसी एक सुविधा को चुन सकते थे। लेकिन नई नियुक्तियों में आने वाले कर्मचारियों को अब से यह विशेषाधिकार नहीं मिलेगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह कदम केवल नई नियुक्तियों पर लागू होगा। वर्तमान में जो कर्मचारी पहले से इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं, उन्हें किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। उन्हें पूर्ववत सुविधा मिलती रहेगी। यानी पुरानी नियुक्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यवस्था सरकार के दीर्घकालिक वित्तीय प्रबंधन का हिस्सा है। इसमें भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बजट का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है।
सरकार की इस पहल को प्रशासनिक सुधार के रूप में भी देखा जा रहा है। वित्तीय भार कम करने और संसाधनों का बेहतर उपयोग करने की दिशा में उठाए गए इस कदम से विभागीय कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता आने की उम्मीद जताई जा रही है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि आने वाले समय में यह निर्णय (Free Bus Pass Policy) कर्मचारियों और प्रशासनिक व्यवस्था को किस तरह प्रभावित करेगा।