सीजी भास्कर, 2 नवंबर। सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म दिवस (Guru Nanak Jayanti 2025) देशभर में बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस पर्व को गुरुपरब, प्रकाश पर्व या गुरु नानक गुरुपरब के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष गुरु नानक जयंती को लेकर लोगों में तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
पंचांग के अनुसार, गुरु नानक जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष यह पवित्र पर्व 5 नवंबर 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। यह गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती होगी। गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को चलवंडी गांव (वर्तमान में ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। आज यह स्थान सिख धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहीं से गुरु नानक देव जी ने अपने आध्यात्मिक और सामाजिक सुधारों की शुरुआत की थी।
दो दिन पहले शुरू होते हैं अखंड पाठ और नगर कीर्तन
गुरुपरब के दो दिन पहले ही गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ (48 घंटे का निरंतर पाठ) आरंभ हो जाता है। इसके अगले दिन नगर कीर्तन निकाला जाता है, जिसमें ‘पंज प्यारे’ सबसे आगे चलते हैं। उनके पीछे श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हैं और निशान साहिब (सिख ध्वज) लेकर चलते हैं।गुरुपरब के दिन गुरुद्वारों में विशेष कीर्तन दरबार, प्रवचन और संगत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गुरु नानक देव जी के जीवन, शिक्षाओं और उनके उपदेशों को इस अवसर पर याद किया जाता है।
(Guru Nanak Jayanti 2025) लंगर की परंपरा का विशेष महत्व
गुरु नानक जयंती के अवसर पर लंगर का आयोजन हर गुरुद्वारे में किया जाता है। यह परंपरा गुरु नानक देव जी की “सच्चा सौदा” की सीख से जुड़ी है। कहा जाता है कि बचपन में जब गुरु नानक जी को उनके पिता ने कुछ पैसे देकर व्यापार करने भेजा, तो उन्होंने उन पैसों से भूखे संतों के लिए भोजन खरीदा और कहा “यही सच्चा व्यापार है।” तभी से लंगर सेवा सिख धर्म का अभिन्न हिस्सा बन गई, जिसमें जाति, धर्म या वर्ग का कोई भेदभाव नहीं होता।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
गुरु नानक देव जी ने समाज में समानता, भाईचारा और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा था “एक ओंकार सतनाम, करता पुरख, निरभउ, निरवैर।” अर्थात —ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, निर्भय है और किसी से वैर नहीं रखता। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को एकता, शांति और सेवा भाव की प्रेरणा देती हैं।
