सीजी भास्कर, 21 सितम्बर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कार्यकाल (H-1B Visa Shock) में ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिन पर अब उनके ही देशवासी सवाल उठाने लगे हैं। ‘Make America Great Again (MAGA)’ का नारा देकर सत्ता में लौटे ट्रंप पहले टैरिफ और अब H-1B वीजा फीस बढ़ाकर अमेरिका को नई मुश्किलों में डाल रहे हैं।
भारी कर्ज तले अमेरिका
अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस समय कर्ज के दबाव में है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगले साल अमेरिका को लगभग 12 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना या दोबारा जारी करना होगा। इसमें करीब 9 ट्रिलियन डॉलर पुराने कर्ज की परिपक्वता, 2 ट्रिलियन डॉलर नए कर्ज और 1 ट्रिलियन डॉलर सिर्फ ब्याज (H-1B Visa Shock) का बोझ शामिल है।
अमेरिका का डेट-टू-जीडीपी रेशियो 125% है, जबकि भारत का यह आंकड़ा 56.10% है। यानी भारत की तुलना में अमेरिका पर कहीं ज्यादा बोझ है।
ट्रंप के विवादित फैसले
टैरिफ में बढ़ोतरी
भारत समेत कई देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ट्रंप का फैसला उल्टा पड़ गया। उनका तर्क था कि इससे कंपनियां अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग करेंगी और रोजगार बढ़ेगा। लेकिन नतीजा उल्टा निकला— अमेरिका में महंगाई बढ़ गई और विदेशी निवेशक भी हिचकिचाने लगे।
H-1B वीजा फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी
ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा फीस को लगभग 100 गुना बढ़ा दिया। दावा किया गया कि इससे अमेरिकी नागरिकों को ज्यादा नौकरी मिलेगी। मगर जानकारों का मानना है कि इस कदम से अमेरिका की ही कंपनियां (H-1B Visa Shock) दबाव में आ जाएंगी। भारतीय आईटी कंपनियों के साथ काम करने वाली फर्मों को ज्यादा खर्च उठाना पड़ेगा और उन्हें नए कर्मचारियों को ट्रेनिंग देनी होगी।
प्रतिभाओं के पलायन का खतरा
H-1B वीजा उन लोगों की रीढ़ रहा है जिन्होंने अमेरिका को वैश्विक ताकत बनाने में योगदान दिया। टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एलन मस्क से लेकर सत्या नडेला जैसे दिग्गज इसी वीजा प्रोग्राम से जुड़े रहे। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका में लगातार रुकावटें खड़ी की गईं तो दुनिया की बेहतरीन प्रतिभाएँ वहां आना बंद कर देंगी, और इससे अमेरिका की प्रगति की रफ्तार धीमी हो जाएगी।
ट्रंप प्रशासन के हालिया फैसले अमेरिका को किस दिशा में ले जाएंगे, यह आने वाला समय बताएगा। मगर इतना तय है कि ‘MAGA’ का सपना कहीं अमेरिका के आर्थिक और तकनीकी भविष्य पर भारी न पड़ जाए।