इलाहाबाद , 11 अप्रैल 2025 :
Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वकील अशोक पांडे को 6 महीने की सज़ा दी है. कोर्ट ने पांडे से यह भी पूछा है कि उनके हाई कोर्ट में पेश होने पर क्यों न 3 साल की रोक लगा दी जाए? पांडे ने 2021 में कोर्ट के भीतर असभ्य आचरण किया था, टोकने पर जजों को ‘गुंडा’ तक कह दिया था.
जस्टिस विवेक चौधरी और बृज राज सिंह की बेंच ने पांडे पर 2,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. इसे न चुकाने पर उन्हें 1 महीना अतिरिक्त जेल में बिताना होगा, यानी उनकी सज़ा 7 महीने की हो जाएगी. जजों ने फैसला देते हुए कहा कि वकील अशोक पांडे लगातार कोर्ट और न्यायिक प्रक्रिया के प्रति अवमानना भरा रवैया दिखाते रहे हैं. कई मौकों पर चेतावनी और नोटिस दिए जाने के बावजूद उनके आचरण में कोई सुधार देखने को नहीं मिला है.
वकील को जिस घटना के लिए सज़ा मिली है, वह 18 अगस्त, 2021 की है. उस दिन वकील अशोक पांडे सामान्य कपड़ों में जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और दिनेश कुमार की बेंच में पेश हुए, जबकि वकीलों को कोर्ट में तय यूनिफॉर्म में ही पेश होना होता है. पांडे न सिर्फ सामान्य कपड़ों में थे, बल्कि उनकी शर्ट के बटन भी खुले हुए थे. जजों ने जब उन्हें टोका तो वह ऊंची आवाज में बोलने लगे. उन्होंने अपने कपड़ों को लेकर कोर्ट में मौजूद तमाम लोगों के सामने जजों से बहस की. यह तक कह दिया कि जज ‘गुंडों जैसा बर्ताव’ कर रहे हैं.
वकील को अवमानना का नोटिस जारी हुआ था
इस मामले में वकील को अवमानना का नोटिस जारी हुआ था. पिछले लगभग 4 सालों में उन्होंने न तो जवाब दाखिल किया, न किसी भी तरह से अपने आचरण पर कोई पछतावा दिखाया. इसके आधार पर जजों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अशोक पांडे अदालतों और न्यायिक प्रक्रिया के प्रति सम्मान का भाव नहीं रखते. कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाते हुए 4 सप्ताह के भीतर लखनऊ के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने समर्पण करने के लिए कहा है.
वकील को सज़ा देते समय जजों ने कुछ और घटनाओं का ज़िक्र किया है. जिस घटना को लेकर यह फैसला आया है, उससे 2 दिन पहले 16 अगस्त, 2021 को भी हाई कोर्ट की एक दूसरी बेंच के सामने पांडे बिना यूनिफॉर्म के पेश हुए थे. उस दिन भी वह खुद को टोकने पर जजों के ऊपर चिल्लाए थे. उन्होंने जोर दिया था कि चूंकि वह बार एसोसिएशन के सदस्य हैं, इसलिए जजों को उन्हें सुनना होगा. जजों ने फैसले में इस बात का भी उल्लेख किया है कि अशोक पांडे को पहले भी 2 साल के लिए हाई कोर्ट में पेश होने से प्रतिबंधित किया जा चुका है.