सीजी भास्कर, 7 अगस्त |
नई दिल्ली/रायपुर।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों CBI और ED की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को होने वाली सुनवाई स्थगित कर दी गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई है।
PMlA की धाराओं को चुनौती, गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग
भूपेश बघेल ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार की प्रमुख जांच एजेंसियों — CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) — की शक्तियों और कार्यक्षेत्र को लेकर आपत्ति जताई है। याचिका में PMlA की धारा 44, 50 और 60 को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है। इसके साथ ही उन्होंने स्वयं की संभावित गिरफ्तारी पर रोक लगाने और जांच में सहयोग देने का अवसर देने की अपील की है।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को बताया राजनीतिक साजिश
पूर्व सीएम ने दावा किया है कि उनके बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पूरी तरह से राजनीतिक द्वेष के तहत की गई थी और अब उन्हें भी राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया जा सकता है। उनका कहना है कि केंद्र की एजेंसियां राज्य की विपक्षी सरकारों और नेताओं को टारगेट कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने रखी पैरवी
इस केस में पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, मयंक जैन और हर्षवर्धन परघनिया ने पक्ष रखा। जबकि ईडी की तरफ से जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई है। यह सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भूइयां और जस्टिस एनके सिंह की बेंच में हो रही है।
चैतन्य बघेल ने भी लगाई अर्जी, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने भी अपनी गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिकता याचिका दाखिल की है। इसके साथ ही मंगलवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में भी गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका प्रस्तुत की गई है।
सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से मिली सशर्त जमानत, प्रदेश छोड़ने का निर्देश
छत्तीसगढ़ में डीएमएफ (DMF) घोटाले के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जमानत की अवधि में उन्हें राज्य से बाहर रहना होगा।
इससे पहले उन्हें कोयला घोटाले में 29 मई को जमानत मिल चुकी थी, अब डीएमएफ केस में भी राहत मिलने से रायपुर जेल से उनकी रिहाई संभवतः गुरुवार को हो सकती है। यह फैसला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जाय माला बागची की डबल बेंच ने सुनाया।