सीजी भास्कर, 04 दिसंबर। छत्तीसगढ़ में कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक हटा दी गई है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शहीद पुलिस कर्मियों और नक्सल प्रभावित सुरक्षाकर्मियों के बच्चों को ही छूट मिलेगी। कोर्ट ने सभी पुलिस कर्मियों के बच्चों को छूट दिए जाने को गलत बताया है। छूट सिर्फ उन्हीं को देने के निर्देश दिए हैं, जो इसके हकदार हैं।
आपको बता दें कि आज जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया जारी रखने के निर्देश दिए हैं। अब फिजिकल टेस्ट के बाद भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।
गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ में आरक्षक संवर्ग 2023-24 के लिए 5 हजार 967 पदों पर भर्ती निकली जिसमें पुलिस कर्मियों के बच्चों को फिजिकल में छूट मिली थी। छूट देने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगी थी। इस पर 26 नंवबर को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने कहा था कि पुलिस कर्मियों को लाभ देने नियमों में बदलाव कैसे हो सकता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि केवल अपने विभाग के कर्मचारियों को छूट देना आम नागरिकों के साथ भेदभाव है। ऐसे में इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। मामले में वकील की ओर से पेश किए गए दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने भर्तियों पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि क्योंकि नियमों को शिथिल करने का लाभ सभी पदों पर मिलता, इसलिए सभी पदों पर होने वाली भर्ती पर रोक लगा दी गई थी। राज्य शासन ने कहा था कि 2007 में नियम बनाया गया है कि पुलिस कर्मियों के परिवार के लोगों को भर्ती में छूट का प्रावधान है। इस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति करते हुए कहा कि नियम के तहत डीजीपी को अधिकार दिया गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो मनमाना छूट देंगे। छूट देने का नियम है इसका मतलब यह नहीं कि DGP कमेटी बनाकर ऐसा करे। नियम का लाभ सभी वर्ग के लोगों को मिलना चाहिए। ऐसा नहीं है कि SP और TI के बेटे-बेटियों को ही भर्ती में प्राथमिकता दी जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस अपने फायदे के लिए रूल बना लें, यह पद का दुरुपयोग है।