सीजी भास्कर, 05 सितम्बर। रायपुर से बिलासपुर तक के नेशनल हाईवे की बदहाल हालत पर हाईकोर्ट ने गंभीर नाराजगी जताई है।
अदालत ने साफ कहा है कि सड़क पर केवल रंगाई-पुताई या दिखावटी काम से जनता की परेशानी खत्म नहीं होगी, इसके लिए वास्तविक मरम्मत और पुनर्निर्माण जरूरी है।
कोर्ट ने उठाए सवाल
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिंघ और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरू की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान सरकार (Chhattisgarh Govt) से पूछा कि आखिर सड़क सुधार में इतनी देरी क्यों हो रही है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा,
“सिर्फ अध्ययन और रिपोर्ट बनाने से कुछ नहीं होगा, जब तक सड़क की मरम्मत पूरी तरह नहीं होगी, लोगों की मुश्किलें कम नहीं होंगी।”
सरकार का जवाब और कोर्ट की नाराजगी
सुनवाई में सरकारी पक्ष ने दलील दी कि सड़क मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया (Tender Process) शुरू कर दी गई है और फिलहाल सर्वे का काम चल रहा है।
इस पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि गड्ढों और दरारों से लोग रोजाना परेशान हो रहे हैं, ऐसे में रिपोर्ट तैयार करने के नाम पर समय बर्बाद करना जनता के साथ अन्याय है।
दो हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने का आदेश
अदालत ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI) और लोक निर्माण विभाग (PWD) को निर्देश दिया है कि रायपुर से बिलासपुर हाईवे की वास्तविक स्थिति का सर्वे जल्द पूरा कर दो हफ्तों के भीतर रिपोर्ट पेश करें।
इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को तय की गई है।
जजों की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट कहा, “हमें सिर्फ सड़क की लाइटिंग, साज-सज्जा या रंगाई की बातें नहीं चाहिए। जब तक सड़क की पूरी मरम्मत नहीं होगी, जनता को राहत नहीं मिलेगी। सरकार को अब तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे।”