सीजी भास्कर, 22 जून। केरल हाईकोर्ट के फैसले इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं। अब एक बार फिर कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट ने माना है कि पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों या हिस्ट्रीशीटर के दरवाजे खटखटाने या निगरानी की आड़ में रात में उनके घरों में घुसने का कोई अधिकार नहीं है। जस्टिस वीजी अरुण ने यह फैसला एक शख्स की याचिका पर सुनाया है।
उस पर आरोप है कि उसने पुलिस अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका और उन्हें धमकाया है।
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए व्यक्ति के खिलाफ दर्ज केस और उससे संबंधित सभी आगे की कार्यवाही को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि निगरानी की आड़ में, पुलिस हिस्ट्रीशीटरों के दरवाजे नहीं खटखटा सकती या उनके घरों में नहीं घुस सकती है।
घर की पवित्रता का हो सम्मान
कोर्ट ने कहा कि घर की पवित्रता का सम्मान किया जाना चाहिए और पुलिस को केवल केरल पुलिस मैनुअल में दर्ज तरीकों से ही निगरानी करनी चाहिए। अदालत ने आगे कहा कि केरल पुलिस मैनुअल के तहत केवल हिस्ट्रीशीटरों की ‘अनौपचारिक निगरानी’ और आपराधिक जीवन जीने वालों पर ‘कड़ी निगरानी’ की अनुमति है। इनमें से कोई भी अभिव्यक्ति रात में घर में घुसने की अनुमति नहीं देती है।
रात में घर में घुसने की नहीं है अनुमति- कोर्ट
कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि पुलिस को किसी के भी घर में आधी रात को घुसने की परमिशन नहीं है। यह भी बताया गया कि केरल पुलिस अधिनियम की धारा 39 के तहत सभी व्यक्ति अपने कार्यों के निर्वहन के लिए पुलिस अधिकारी के वैध निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
इसके साथ ही ‘आधी रात को हिस्ट्रीशीटर के दरवाजे खटखटाना और उससे घर से बाहर आने की मांग करना किसी भी तरह से ठीक नहीं है।
क्या था पूरा मामला?
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि पुलिस उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उसकी शिकायत में हाईकोर्ट की तरफ से आदेशित जांच को भटकाने के लिए उसे मामले में फंसाया गया था।
पुलिस ने दावा किया था कि उपद्रवी हिस्ट्रीशीटरों पर उनकी रात्रि जांच ड्यूटी के हिस्से के रूप में अधिकारी यह पता लगाने गए थे कि याचिकाकर्ता घर पर है या नहीं, हालांकि, जब उनसे घर का दरवाजा खोलने के लिए कहा गया तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया और अधिकारी के साथ गाली-गलौज की। उन्हें धमकाया भी।