09 अप्रैल 2025 :
जल्द ही पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर उनमें मौजूद हानिकारक चीजों को लेकर चेतावनी देखने को मिल सकती है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने इस पर विचार के लिए एक कमेटी बनाई है. सरकार के इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई बंद कर दी. कोर्ट ने कमेटी को निर्देश दिया कि वह 3 महीने में सरकार को रिपोर्ट सौंप दे.
3S एंड आवर हेल्थ सोसाइटी नाम की संस्था की तरफ से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में नोटिस जारी किया था. याचिका में मांग की गई थी कि खाद्य पदार्थों के पैकेट के सामने वाले हिस्से में यह लिखा होना चाहिए कि इसमें चीनी, नमक और सैचुरेटेड फैट्स जैसी चीजों की कितनी मात्रा है. याचिकाकर्ता ने बताया था कि भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति डायबिटीज का शिकार है. पैकेज्ड फूड में मौजूद तत्व शुगर, हृदय रोग से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों तक की वजह बन रहे हैं. इस तरह की गैर संक्रामक बीमारियों से हर साल भारत में 60 लाख मौतें होती हैं
याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस तरह के खाद्य पदार्थों की जबरदस्त मार्केटिंग की जाती है. इससे प्रभावित होकर लोग, खास तौर पर बच्चे इन्हें खरीदते हैं. वजन में असामान्य बढ़ोतरी से लेकर पोषण के अभाव जैसी कई समस्याओं की यह वजह है. सरकार का कर्तव्य है कि वह इस तरह के जंक फूड से होने वाले नुकसान के प्रति लोगों को आगाह करे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. कोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से जवाब मांगा था.
जस्टिस जे बी पारडीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने याचिकाकर्ता की तरफ से वकील राजीव द्विवेदी पेश हुए. जस्टिस पारडीवाला ने उनसे हल्के फुल्के अंदाज में कहा, ‘क्या आपके घर में बच्चे हैं? उनसे बात कीजिए तो पता चलेगा कि कुरकुरे क्या है या मैगी क्या है? उन्हें इस बात से मतलब नहीं कि पैकेट पर क्या लिखा है. उनकी दिलचस्पी उसमें होती है, जो पैकेट के अंदर है.’
जजों ने याचिकाकर्ता की तरफ से रखी गई मांग को उचित मानते हुए केंद्र सरकार और FSSAI के वकील से सवाल किया. FSSAI के वकील ने कहा कि वह खाद्य पदार्थ में मौजूद सामग्री का ब्योरा पैकेट के अगले हिस्से में दर्ज करने के लिए नियम बदलने पर विचार कर रहा है. इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है. कमेटी ने अब तक लगभग 14 हजार लोगों से सुझाव और आपत्तियां ली हैं. इस पर जजों ने कमेटी से कहा कि वह 3 महीने में FSSAI को रिपोर्ट दे, जिससे आगे की प्रक्रिया शुरू हो सके.