ईरान के दो कट्टरपंथी मौलवियों ने हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइली प्रधानमंंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को इस्लाम का दुश्मन बताकर उनके कत्ल का फतवा जारी किया. इसके बाद ईरान में एक वेबसाइट THAAR.IR पर चंदा जुटाने का अभियान शुरू हो गया. कुछ ही दिनों में करीब 20 मिलियन डॉलर, यानी 17 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटा ली गई.
इन मौलिवियों की मुहिम को अब तक करीब दस और धार्मिक नेताओं का समर्थन मिल चुका है. इतनी ही नहीं ईरान के वेस्ट अजरबैजान प्रांत में एक और मौलवी ने खुलेआम ऐलान कर दिया है कि जो भी ट्रंप का सिर लाएगा उसके 100 अरब तोमान यानी करीब 1.14 मिलियन डॉलर का इनाम मिलेगा. ये ऐलान ईरान की सरकारी इस्लामिक प्रचार संस्था के एक अधिकारी ने किया.
कट्टरता के पीछे की राजनीति
बताया जा रहा है कि जिन मौलवियों ने फतवे जारी किए हैं, उनमें कुछ ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के करीबी भी हैं. उन्होंने ट्रंप और नेतन्याहू को मोहरेब यानी ईश्वर का दुश्मन बताया है. ये वही शब्दावली है जो 1989 में सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवे के दौरान इस्तेमाल की गई थी.
राष्ट्रपति पेजेश्कियान ने बनाई दूरी
ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने इस पूरे विवाद से खुद को अलग कर लिया है. अमेरिका के एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ये फतवे सरकार की तरफ से नहीं हैं और इसका ईरानी सत्ता या खामेनेई से कोई लेना-देना नहीं है. उनके मुताबिक, सरकार ने कभी ट्रंप के खिलाफ कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया.
इस घटनाक्रम ने दुनिया को फिर 1989 की याद दिला दी, जब ईरान के पूर्व नेता रुहोल्लाह खोमैनी ने ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी के खिलाफ जानलेवा फतवा जारी किया था. सालों तक सुरक्षा घेरे में रहने के बावजूद रुश्दी पर 2022 में अमेरिका में हमला हुआ, जिसमें उनकी एक आंख चली गई.