ग्वालियर।
देशभर में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर मध्यप्रदेश के ग्वालियर का प्रसिद्ध गोपाल मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है। यहां जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा-कृष्ण का श्रृंगार ऐसे आभूषणों से किया जाता है, जिनकी कीमत 1 अरब रुपये से भी अधिक आंकी जाती है।
100 साल पुराना मंदिर और शाही इतिहास
ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर का निर्माण करीब 100 वर्ष पहले सिंधिया राजवंश द्वारा कराया गया था। तभी से यहां राधा-कृष्ण की भव्य प्रतिमाएं स्थापित हैं। जन्माष्टमी पर इस मंदिर में रखे बहुमूल्य गहनों का खजाना खोला जाता है और भगवान का शाही श्रृंगार किया जाता है।
सिंधिया शासकों की अनमोल भेंट
मंदिर के भंडार में जो आभूषण सुरक्षित रखे गए हैं, उन्हें सिंधिया शासकों ने भेंट किया था। इनमें हीरे, मोती, पन्ना, माणिक, नीलम और सोने की कारीगरी से बने अनमोल आभूषण शामिल हैं।
श्रृंगार के समय भगवान कृष्ण को हीरे जड़ित मुकुट, सात लड़ी का पन्ना-स्वर्ण हार, 249 मोतियों की माला, सोने की बांसुरी, हीरे जड़े कंगन और चांदी का विशाल छत्र धारण कराया जाता है।
सिर्फ जन्माष्टमी पर खुलता खजाना
मंदिर प्रबंधन के मुताबिक, सालभर ये आभूषण भंडार में सुरक्षित रहते हैं और केवल जन्माष्टमी पर ही निकाले जाते हैं। पुलिस और प्रशासन की सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच इन्हें मंदिर तक लाया जाता है।
लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ने की उम्मीद
हर साल जन्माष्टमी पर गोपाल मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। अनुमान है कि इस बार भी लाखों भक्त भगवान राधा-कृष्ण के दिव्य श्रृंगार के दर्शन के लिए यहां पहुंचेंगे।