सीजी भास्कर, 3 नवंबर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के बागोडार गांव (Kanker Bear Death) में शुक्रवार रात एक मादा भालू की मौत के बाद उसका एक साल का शावक पूरी रात उसके पास बैठकर रोता रहा। गांव की निस्तब्धता में शावक की करुण आवाजें बार-बार गूंजती रहीं, जिससे ग्रामीणों का दिल पिघल गया।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, भालू और उसका शावक देर शाम लीलाबाई निषाद के घर के पीछे दिखाई दिए थे। कुछ देर बाद ग्रामीणों ने मादा भालू को मृत अवस्था में देखा। उसके जबड़े पर गहरी चोट के निशान थे, जिससे उसकी मौत हुई मानी जा रही है। शावक अपनी मां के शव के पास चिपककर बैठा रहा, बार-बार उसे हिलाने की कोशिश करता रहा और फिर रोने लगता।
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पहली बार किसी जंगली जानवर का इतना भावनात्मक व्यवहार (Kanker Bear Death) देखा। पास ही रहने वाली लीलाबाई ने बताया भालू का बच्चा अपनी मां को छोड़ नहीं पा रहा था। उसकी आवाज सुनकर पूरा मोहल्ला जाग गया। घटना की सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने सुबह शावक को सावधानीपूर्वक पकड़कर सिंगारभाट काष्ठागार भेज दिया, जहां उसकी देखरेख की जा रही है। वनकर्मी लगातार उसकी सेहत और खानपान की निगरानी कर रहे हैं।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत के कारणों की पुष्टि की जाएगी। प्राथमिक जांच में संभावना जताई गई है कि मादा भालू की मौत झगड़े या हादसे में लगी चोटों से हुई होगी। गांव (Kanker Bear Death) के बुजुर्गों का कहना है कि ठंड का मौसम शुरू होते ही भालू अक्सर जंगलों से गांव की ओर आते हैं। डेढ़ साल पहले भी इसी गांव में एक मादा भालू ने बच्चे को जन्म दिया था। रातभर गूंजती रही शावक की सिसकियों ने पूरे इलाके को भावुक कर दिया। ग्रामीणों ने वन विभाग से आग्रह किया है कि शावक को सुरक्षित जंगल में छोड़ा जाए, जहां उसकी सही देखभाल हो सके।
