सीजी भास्कर, 28 नवंबर। कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद (Karnataka Politics) को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। यह सियासी जंग कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता मौजूदा सीएम सिद्धरमैया और डिप्सी सीएम डीके शिवकुमार के बीच देखने को मिल रही है। एक ओर सीएम बनने की चाह रखने वाले डीके. शिवकुमार के गुट के नेता और विधायक दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान पर दबाव पैदा कर रहे हैं।
दूसरी ओर सिद्धरमैया भी अपने करीबी नेताओं के साथ करने में जुटे हैं। इस स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस हाईकमान के सामने आ कर खड़ी हो गई है कि वो कैसे किसी हल तक पहुंचते हैं? तो चलिए आलाकमान की 3 चुनौतियों पर एक नजर डालते हैं।
रणनीतिक मुद्दे से हटना नहीं चाहती कांग्रेस
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अक्सर जाति जनगणना की बात करते हैं। कांग्रेस की राजनीति दलितों और अल्पसंख्यकों पर टिकी हुई है। इस हिसाब से सिद्धरमैया ज्यादा मजबूत चेहरे हैं। डीके, शिवकुमार के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। कांग्रेस हाईकमान को डर है कि अगर केंद्र के कहने पर पुरानी फाइलें खोली जाती हैं तो शिवकुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनका हाल भी दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की तरह हो सकता है। पार्टी अपनी छवि साफ रखना चाहती है।
(Karnataka Politics) विवादों से दूरी चाहती है कांग्रेस
डीके शिवकुमार (Karnataka Politics) ऐसे नेता हैं जो काफी विवादों में रहे हैं। उनके ऊपर आय से ज्यादा संपत्ति होने का आरोप है। इसके चलते केंद्रीय एजेंसियों ने उनकी संपत्तियों पर रेड भी मारी थी। बस इतना ही नहीं बल्कि उपमुख्यंत्री अवैध लेन-देन के मामले में लगभग 50 दिनों की जेली की सजा भी काट कर आए थे। जब शिवकुमार सलाखों के पीछे थे तब सोनिया गांधी उनसे मिलने जेल गई थीं। कांग्रेस किसी विवादित नेता को सीएम की कुर्सी पर बैठा कर विवादों में नहीं फंसना चाहती।
कांग्रेस हाईकमान के सामने क्या चुनौती
देखा जाए तो सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार दोनों कर्नाटक में बड़े चेहरे हैं। अगर कांग्रेस हाईकमान सिद्धरमैया के पक्ष में फैसलाा लेती है तो डी के शिवकुमार और उनके समर्थकों में मनमुटाव बढ़ सकता है। वहीं, अगर डिप्टी सीएम के पक्ष में फैसला लिया गया तो सिद्धरमैया के समर्थकों में कटवाहट बढ़ सकती है। कांग्रेस किसी ऐसे नतीजे पर पहुंचना चाहती है जिससे उनकी पार्टी कमजोर न दिखे।
