सीजी भास्कर, 28 जुलाई : कभी-कभी जिंदगी बचाने के लिए आपरेशन थिएटर नहीं, सिर्फ हिम्मत, इंसानियत और टीमवर्क की जरूरत होती है। कुछ ऐसा ही वाकया झारखंड के कोडरमा में एक यात्री बस में आधी रात के समय हुआ, जब मूसलधार बारिश के बीच चलती बस ने इमरजेंसी मैटरनिटी वार्ड का रूप ले लिया। बस में दर्द से तड़पती महिला का सुरक्षित प्रसव कराया गया। इसके बाद बस कर्मचारी, पुलिसकर्मी, डाक्टर और यात्रियों ने तालियों की गड़गड़ाहट से मां और नवजात का स्वागत कर मानवीय संवेदनाओं के इस कठिन क्षण को एक मधुर स्मृति में बदल दिया।
बिहार के वैशाली से 22 वर्षीय राधा बस से अपनी नानी के घर रांची जा रही थीं। उनके साथ मां मीना देवी, बहन अनुराधा और ढाई वर्ष की बेटी पल्लवी भी थी। राधा के पति मुंबई में काम करते हैं। कोडरमा घाटी पार करते समय रात 1:30 बजे के करीब राधा को प्रसव पीड़ा होने लगी। हालांकि, डाक्टर ने प्रसव के लिए दो अगस्त का समय दिया था। प्रसव पीड़ा की जानकारी बस के चालक और कंडक्टर को दी गई। बस जब झुमरीतिलैया रेलवे ओवरब्रिज के समीप पहुंची तो कंडक्टर ने वहां से गुजर रही पुलिस की पीसीआर वैन से मदद मांगी। वैन पर सवार एएसआइ ओमप्रकाश सिंह ने बस को पीसीआर वैन के पीछे-पीछे आने को कहा।
पुलिस कई क्लीनिकों तक बस को लेकर पहुंची
पुलिस वाहन शहर के कई क्लीनिकों तक बस को लेकर पहुंचा। अधिकतर क्लीनिक बंद मिले। इसी कड़ी में रात 2:26 पर पुलिस बस को लेकर झुमरीतिलैया के आर्यन अस्पताल पहुंची। अस्पताल के चिकित्सक डा. प्रवीण कुमार ने बिना देर बच्चे के प्रसव की जिम्मेदारी संभाली। इस दौरान महिला बस की सीट पर लेटी थी और नवजात का आधा शरीर बाहर आ चुका था। अस्पताल की नर्सों ने डाक्टर की निगरानी में सुरक्षित प्रसव कराया। बस में बच्ची की किलकारी गूंज उठी। आर्यन अस्पताल के डा. प्रवीण कुमार ने बाद में बातचीत में बताया कि यदि थोड़ी भी देर होती, तो स्थिति बेहद गंभीर हो सकती थी।
स्वजनों ने पुलिस और डाक्टर को बताया देवदूत
राधा की मां मीना देवी ने बताया, मुझे पथरी का इलाज करवाना था इसलिए बेटी को साथ लेकर रांची अपने घर जा रही थीं। हमें क्या पता था कि रास्ते में ही यह हो जाएगा। पुलिस और डा. प्रवीण कुमार ने जो किया, वह हम पर ज़िंदगी भर का कर्ज है। ईश्वर ने जैसे हमारे लिए देवदूत भेज दिए थे।