सीजी भास्कर, 9 नवंबर। पर्यटक अब (Konark Sun Temple Ban 2025) कोणार्क के विश्वप्रसिद्ध सूर्य मंदिर के नाटमंडप (नृत्य मंडप) पर नहीं चढ़ सकेंगे। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI Odisha Restriction) विभाग ने पर्यटकों की सुरक्षा और इस ऐतिहासिक स्मारक को नुकसान से बचाने के लिए यह प्रतिबंध लगाया है।
बताते चलें कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों का पहला पड़ाव नाटमंडप ही होता था। गाइड यहां खड़े होकर बताते थे कि सूर्योदय की पहली किरण सीधे मुख्य मंदिर स्थित (Sun Idol Konark) अष्टधातु की सूर्य प्रतिमा पर पड़ती है। इस दौरान पर्यटक नाटमंडप की ऊंचाई पर चढ़कर सेल्फी लेते थे, फोटो खींचते थे और पत्थरों पर उकेरी गई प्राचीन कारीगरी को नजदीक से देखते थे।
परंतु, इन गतिविधियों के बीच कई बार वे असावधानी के कारण फिसलकर गिर जाते थे और घायल हो जाते थे। स्मारक के किनारों पर सुरक्षा घेरा न होने से ऐसी घटनाएं समय-समय पर सामने आती रहती थीं। (Archaeological Survey of India) एएसआइ पुरी सर्कल के अधीक्षक डी.बी. गडनायक ने बताया कि आदेश के अनुरूप पर्यटक अब नीचे रहकर ही नाटमंडप की परिक्रमा कर सकेंगे और इसके चारों ओर स्थित कलात्मक मूर्तियों व शिल्पकला का अवलोकन कर पाएंगे।
सूर्य मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
13वीं सदी में निर्मित कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा की पहचान माना जाता है। यह मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है और यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। यहां आने वाले पर्यटक न केवल इसकी अद्भुत वास्तुकला देखते हैं, बल्कि सूर्य के रथ के रूप में बनी इसकी आकृति का अध्ययन भी करते हैं।
नाटमंडप पर चढ़ने पर रोक लगने से अब पर्यटक केवल नीचे से ही दर्शन कर पाएंगे। स्थानीय गाइड्स का कहना है कि इससे फोटोग्राफी और मंदिर के करीब से अवलोकन सीमित हो जाएगा, लेकिन सुरक्षा और संरक्षण की दृष्टि से यह जरूरी कदम है।
