सीजी भास्कर, 18 सितंबर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश में हुए 3,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की मनी लांड्रिंग जांच को तेज करते हुए कई राज्यों में दबिश दी। इस कार्रवाई ने पूरे राजनीतिक और कारोबारी हलकों में हड़कंप मचा दिया है। ईडी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और दिल्ली-एनसीआर में लगभग 20 ठिकानों पर छापे मारे। अधिकारियों का कहना है कि शराब घोटाले (Liquor Scam Investigation) में शामिल कंपनियों और व्यक्तियों के नेटवर्क को खंगाला जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, जिन ठिकानों पर छापे मारे गए उनमें एरेट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, श्री ज्वैलर्स एक्सिम्प, एनआर उद्योग एलएलपी, द इंडिया फ्रूट्स प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई), वेंकटेश्वर पैकेजिंग, सुवर्णा दुर्गा बाटल्स, राव साहेब बुरुगु महादेव ज्वैलर्स, उषोदय एंटरप्राइजेज और मोहन लाल ज्वैलर्स (चेन्नई) शामिल हैं। जांच अधिकारियों का कहना है कि इन संस्थानों पर फर्जी और बढ़े हुए बिलों के जरिये कमीशन और अवैध भुगतान कराने का आरोप है।
शराब घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
ईडी ने बताया कि यह कार्रवाई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की शुरुआती जांच के बाद हुई है। इस जांच में यह सामने आया था कि शेल कंपनियों, बेनामी फर्मों और हवाला नेटवर्क के जरिए बड़े पैमाने पर धन का लेन-देन हुआ। इन खुलासों के बाद मनी लांड्रिंग (Liquor Scam Investigation) का पूरा मामला और गहराता चला गया।
अब तक पुलिस इस मामले में तीन आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। गिरफ्तार किए गए प्रमुख आरोपियों में वाईएसआरसीपी के लोकसभा सदस्य पीवी मिधुन रेड्डी का नाम भी शामिल है। यही नहीं, पुलिस के आरोपपत्र में यह भी कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी औसतन 50-60 करोड़ रुपये प्रतिमाह रिश्वत पाने वालों में से एक थे। हालांकि, अभियोजन पक्ष की शिकायत में जगन का नाम सीधे तौर पर आरोपित के रूप में नहीं लिया गया है।
ईडी की नजर बड़े राजनीतिक चेहरों पर
अधिकारियों का कहना है कि शराब घोटाले (Liquor Scam Investigation) में केवल कारोबारी और ठेकेदार ही नहीं बल्कि बड़े राजनीतिक नाम भी जांच के घेरे में हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि बड़ी रकम हवाला के जरिए दिल्ली-एनसीआर और दक्षिण भारत के कई शहरों तक पहुंचाई गई। ईडी ने कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों से भी रिकॉर्ड मांगे हैं।
जांच एजेंसी का यह भी कहना है कि कई कंपनियां केवल कागज पर मौजूद थीं और उनका इस्तेमाल अवैध लेन-देन को वैध दिखाने के लिए किया गया। अधिकारियों के अनुसार, आने वाले दिनों में और बड़े चेहरे इस (Liquor Scam Investigation) की जांच में उजागर हो सकते हैं।
राजनीतिक माहौल गरमाया
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की राजनीति में इस कार्रवाई के बाद हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों का कहना है कि यह घोटाला सत्ता में बैठे नेताओं की मिलीभगत से हुआ है। वहीं, सत्तारूढ़ दल ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा है कि ईडी की कार्रवाई का वे स्वागत करते हैं ताकि सच सामने आ सके।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे शराब घोटाले (Liquor Scam Investigation) की जांच आगे बढ़ेगी, इसका असर आगामी चुनावी समीकरणों पर भी साफ दिखाई देगा। जनता इस मुद्दे को लेकर और ज्यादा मुखर हो सकती है।