शिमला,
हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसले में राज्य में 25 साल बाद फिर से लॉटरी सिस्टम शुरू करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह कदम राज्य की आर्थिक स्थिति को सुधारने और आमदनी के नए स्रोत विकसित करने की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
लॉटरी से राजस्व बढ़ाने की तैयारी
राज्य सरकार की योजना है कि लॉटरी सिस्टम के ज़रिए हर साल लगभग 50 से 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया जाए। वित्त विभाग ने बताया कि अन्य राज्यों के अनुभव से यह स्पष्ट है कि यदि लॉटरी प्रणाली को व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जाए, तो इससे राज्य के खजाने को बड़ा लाभ मिल सकता है।
केरल, पंजाब और सिक्किम जैसे राज्यों का उदाहरण देते हुए कहा गया कि इन प्रदेशों ने लॉटरी से बड़ी कमाई की है। केरल को लॉटरी से सालाना 13,582 करोड़ रुपये तक की आमदनी होती है, वहीं पंजाब को 253 करोड़ और सिक्किम को 30 करोड़ रुपये का लाभ मिला है।
लॉटरी सिस्टम को फिर से वैध क्यों किया गया?
हिमाचल में लॉटरी प्रणाली वर्ष 2002 तक वैध थी, लेकिन उस समय इससे जुड़े कई विवादों और सामाजिक विरोधों के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने इसे बंद कर दिया था। अब मौजूदा सरकार का तर्क है कि नियंत्रित और आधुनिक तरीके से लॉटरी शुरू कर राज्य की आर्थिक स्थिति को मज़बूती दी जा सकती है।
वित्त विभाग ने कहा है कि लॉटरी संचालन के लिए अन्य राज्यों द्वारा अपनाए गए “टेंडर मॉडल” को हिमाचल में भी लागू किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और गड़बड़ी की संभावना कम हो।
अब किन राज्यों में लॉटरी वैध है?
वर्तमान में भारत के 13 राज्यों में लॉटरी वैध है:
- असम
- अरुणाचल प्रदेश
- मणिपुर
- मेघालय
- सिक्किम
- नागालैंड
- मिजोरम
- केरल
- पंजाब
- महाराष्ट्र
- मध्य प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
- और अब हिमाचल प्रदेश भी इस सूची में शामिल हो जाएगा।
इनमें केरल का लॉटरी मॉडल सबसे सफल और लोकप्रिय माना जाता है।
विपक्ष का तीखा विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि लॉटरी जैसी योजनाएं सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाती हैं। “लॉटरी के कारण कई परिवार बर्बाद हुए हैं, घर नीलाम हुए हैं, और कुछ मामलों में लोगों ने आत्महत्या तक की है,” उन्होंने कहा। जय राम ठाकुर का आरोप है कि सरकार राज्य को फिर उसी अंधेरे दौर में ले जा रही है।