सीजी भास्कर, 28 नवंबर। नवा रायपुर में चल रही डीजीपी–आईजी कॉन्फ्रेंस के बीच नक्सल मोर्चे (Maoist Surrender) से एक अभूतपूर्व और चौंकाने वाला घटनाक्रम सामने आया है। सीपीआई–एम महाराष्ट्र–मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़ जोन ने तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र जारी कर 1 जनवरी 2026 को सामूहिक आत्मसमर्पण की घोषणा कर दी है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच गई है।

Maoist Surrender सरेंडर से पहले रखी बड़ी शर्त
संगठन के प्रवक्ता अनंत द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि जोन के सभी सक्रिय सदस्यों ने नए वर्ष की पहली तारीख को एक साथ मुख्यधारा में लौटने का निर्णय ले लिया है। लेकिन इसके लिए उन्होंने तीनों राज्य सरकारों के सामने महत्वपूर्ण शर्त रखी है कि सरेंडर की तारीख तक सभी सुरक्षा अभियानों को पूरी तरह रोका जाए।
उनका तर्क है कि जोनभर में फैले साथियों से संपर्क, उन्हें सरेंडर के लिए तैयार करने की प्रक्रिया सक्रिय अभियानों के बीच संभव नहीं। पत्र में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि संगठन ने पहली बार सार्वजनिक रूप से अपनी 435.715 मेगाहर्ट्ज की ओपन फ्रीक्वेंसी साझा की है, जिसके जरिए वे जोन के सभी सदस्यों से संवाद करने की बात कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इसे बेहद असामान्य कदम बताया है।
सरकार को 10–15 दिन का समय अपर्याप्त
अनंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री द्वारा पहले दिए गए 10–15 दिन की समय सीमा में वे एकमुश्त और व्यापक सरेंडर (Maoist Surrender) प्रस्ताव तैयार नहीं कर सकते। उन्होंने स्पष्ट किया कि संगठन टुकड़ों में हथियार डालने के बजाय एक बड़े पैमाने पर, समन्वित और सरकारी पुनर्वास योजना के दायरे में आत्मसमर्पण करना चाहता है।
संगठन ने यह भी कहा कि आत्मसमर्पण से ठीक पहले वे विस्तृत प्रेस विज्ञप्ति जारी करेंगे, जिसमें उनकी शर्तें, अपेक्षाएं और संगठन की वर्तमान स्थिति स्पष्ट रूप से बताई जाएगी। अब नजर इस बात पर है कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकारें इस अभूतपूर्व पहल पर कैसी आधिकारिक प्रतिक्रिया देती हैं और आगे की रणनीति क्या तय होती है।
