बीजापुर/नारायणपुर | 15 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ के बीजापुर और नारायणपुर जिलों में माओवादी हिंसा ने एक बार फिर से राज्य की शांति व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीजापुर में माओवादियों ने दो शिक्षादूतों की निर्मम हत्या कर दी, वहीं नारायणपुर में मोबाइल नेटवर्क को बाधित करने के लिए एक जिओ मोबाइल टावर में आगजनी की गई।
बीजापुर: मुखबिरी के शक में दो शिक्षादूतों की हत्या
बीजापुर जिले के फरसेगढ़ थाना अंतर्गत टेकमेटा और पीलूर गांव में तैनात शिक्षादूत सुरेश मेट्टा और विनोद मड़े को माओवादियों ने कथित तौर पर मुखबिरी के संदेह में मौत के घाट उतार दिया। दोनों शिक्षादूतों को 13 जुलाई की शाम उनके घर से अगवा किया गया था और 14 जुलाई की रात उनके शव गांव के बाहरी इलाके में फेंक दिए गए।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि दोनों शिक्षक वर्ष 2019 से पदस्थ थे और अक्सर ब्लॉक मुख्यालय तक का सफर करते थे, जिससे उन पर संदेह हुआ। बताया जा रहा है कि पूर्व में भी उन्हें माओवादियों की तरफ से चेतावनी दी गई थी।
शिक्षा दूत संघ ने जताई चिंता
इस जघन्य वारदात के बाद शिक्षा दूत संघ ने घटना की कड़ी निंदा की है और सरकार से सुरक्षा की मांग की है। संघ का कहना है कि ये शिक्षक बेहद सीमित मानदेय में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षा देकर उज्जवल भविष्य की नींव रखने का प्रयास कर रहे हैं। इस घटना से अब उन सभी की जान जोखिम में पड़ती जा रही है।
नारायणपुर: माओवादियों ने मोबाइल टावर में लगाई आग
नारायणपुर जिले के छोटेडोंगर थाना क्षेत्र अंतर्गत मडोनार गांव में 14 जुलाई की रात करीब 9:30 बजे जिओ के मोबाइल टावर में आग लगा दी गई। आग से टावर का जनरेटर पूरी तरह जलकर नष्ट हो गया, हालांकि बिजली आपूर्ति जारी रहने के कारण टावर फिलहाल कार्यरत है।
घटना के बाद जिला पुलिस और आईटीबीपी (ITBP) के जवानों ने इलाके में सघन सर्चिंग अभियान शुरू कर दिया है।
बढ़ती माओवादी हिंसा और प्रशासन की चुनौती
लगातार हो रही माओवादी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि राज्य के कुछ हिस्सों में अब भी नक्सलियों की पकड़ मजबूत है। शिक्षकों, विकास कार्यों और संचार सुविधाओं को निशाना बनाया जाना माओवादियों की रणनीति का हिस्सा बन चुका है। ऐसी घटनाएं न सिर्फ ग्रामीण इलाकों में डर का माहौल पैदा करती हैं, बल्कि विकास को भी बाधित करती हैं।