सीजी भास्कर, 27 जून। Mobile fraud prevention India : दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने मोबाइल फोन नंबरों के दुरुपयोग से होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा नियमों में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया है।
24 जून को जारी मसौदा प्रस्ताव में फोन नंबरों के सत्यापन के लिए एक नए प्लेटफार्म की स्थापना का सुझाव दिया गया है। इसमें उन संस्थाओं को शामिल किया गया है जो ग्राहकों की पहचान के लिए फोन नंबरों का उपयोग करती हैं। खासतौर पर बैंक जो यूपीआइ लेनदेन में फोन नंबरों का प्रयोग करते हैं।
डीओटी के प्रस्ताव के अनुसार, नए सिस्टम में नया ‘एमएनवी प्लेटफार्म’ अधिकृत संस्थाओं और लाइसेंसधारियों को यह जांच करने की अनुमति देगा कि उपयोगकर्ता का मोबाइलन नंबर किसी अधिकृत संस्था के डाटाबेस में है या नहीं।
मसौदा प्रस्ताव में ऐसी संस्थाओं के लिए नियम बनाए गए (Mobile fraud prevention India) हैं, जो “टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी” (टीआइयूई) के जरिये ग्राहकों का लेनदेन का सत्यापन करती हैं।
दूरसंचार कंपनियों के डाटाबेस से मोबाइल नंबर के सत्यापन के लिए केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा अधिकृत संस्थाओं को प्रति अनुरोध 1.5 रुपये का शुल्क देना होगा। अन्य संस्थाओं को प्रति अनुरोध तीन रुपये का भुगतान करना होगा। दूरसंचार विभाग ने इस मसौदा प्रस्ताव पर 30 दिन में सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं।
नए नियमों में सरकारी एजेंसियों को गैर-दूरसंचार संस्थाओं से भी किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए लेनदेन का विवरण जुटाने की शक्ति प्रदान की गई है। सूत्रों के अनुसार, एक बैंक ने नए इकोसिस्टम का परीक्षण करने के लिए पहली ही पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया (Mobile fraud prevention India)है। इसके तहत वह धोखाधड़ी वाले लेनदेन में शामिल किसी नंबर को चिह्नित कर सकता है। चिह्नित नंबर 90 दिनों की अवधि के लिए निष्क्रिय कर दिया जाएगा।