केरल से लेकर कश्मीर तक बारिश का सफर पूरा, देश से पूरी तरह विदा हुआ दक्षिण-पश्चिम मानसून
2009 के बाद सबसे पहले आया, लेकिन एक दिन देर से लौटा
पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड में भारी बारिश से नुकसान, वहीं उत्तर-पूर्व में रिकॉर्ड कमी
सीजी भास्कर, 17 अक्टूबर। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने गुरुवार को देश से दक्षिण-पश्चिम मानसून की पूर्ण विदाई (Monsoon Withdrawal India 2025) की घोषणा की, जिससे इस वर्ष का वर्षा चक्र आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया। इसी के साथ देश के दक्षिणी हिस्सों में उत्तर-पूर्वी मानसून ने दस्तक दी, यानी एक ही दिन एक मौसम का अंत और दूसरे की शुरुआत हुई।
इस साल मानसून ने 24 मई को केरल में दस्तक दी थी जो 2009 के बाद का सबसे पहले आगमन था। सामान्यतः यह एक जून को पहुंचता है, लेकिन इस बार जल्दी आया और जल्दी फैल गया। हालांकि वापसी एक दिन की देरी से हुई, जिससे मानसून की सक्रियता कुल 146 दिन रही सामान्य 145 दिनों से अधिक।
कृषि मंत्रालय और मौसम विभाग दोनों ने इस बार के मानसून को “संतुलित और कृषि के लिए अनुकूल” बताया है। 1 जून से 30 सितंबर तक देशभर में औसतन 937.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य 868.6 मिमी से करीब 8 प्रतिशत ज्यादा रही। यानी देश ने औसतन “अच्छा मानसून” देखा, हालांकि इसका वितरण असमान रहा। उत्तर-पश्चिम भारत में 27.3% अधिक वर्षा हुई, जो वर्ष 2001 के बाद सबसे ज्यादा है। मध्य भारत में 15%, दक्षिणी राज्यों में लगभग 10% अधिक बारिश हुई, जबकि पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 20% कम वर्षा दर्ज की गई यह 1901 के बाद दूसरा सबसे कम आंकड़ा है।
(Monsoon Withdrawal India 2025) का असर पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में व्यापक रूप से दिखा। पंजाब में लगातार बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति से हजारों हेक्टेयर फसलें डूब गईं। वहीं पहाड़ी राज्यों में बादल फटने, भूस्खलन और सड़क कटाव जैसी घटनाओं से जन-धन की हानि हुई। दूसरी ओर मध्य भारत और दक्षिणी हिस्सों में अच्छी वर्षा से जलाशय भर गए, भूजल स्तर बढ़ा और किसानों को रबी फसलों की तैयारी में राहत मिली।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का मानसून ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकता है। अधिक वर्षा से जहां खेतों में नमी बनी रहेगी, वहीं जलाशयों का स्तर बढ़ने से रबी फसलों की सिंचाई में आसानी होगी। जल संसाधन विभाग के मुताबिक, देश के अधिकांश प्रमुख जलाशयों का जलस्तर सामान्य से ऊपर है।
मौसम विभाग ने कहा कि अब देश के दक्षिणी हिस्सों में उत्तर-पूर्वी मानसून सक्रिय होगा। यह तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के लिए महत्वपूर्ण समय होता है, क्योंकि इन क्षेत्रों में रबी मौसम की शुरुआत इसी वर्षा से होती है। आइएमडी के अनुसार, आने वाले हफ्तों में दक्षिण भारत में सामान्य से बेहतर वर्षा की संभावना है, जो जल संकट कम करने और कृषि को गति देने में अहम भूमिका निभाएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष का मानसून अपने पीछे राहत और चुनौतियों का मिश्रित अनुभव छोड़ गया है। जहां उत्तर भारत के कई इलाकों में अतिवृष्टि ने कहर बरपाया, वहीं सूखे की आशंका वाले हिस्सों में भी अच्छी वर्षा से उम्मीदें बढ़ी हैं। कुल मिलाकर, यह मानसून भारतीय कृषि, जल भंडारण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए “संतुलित लाभकारी” रहा है।