सीजी भास्कर, 10 अक्टूबर। देश में मानसिक स्वास्थ्य (Never Alone App for Mental Health) से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, हर साल औसतन 1.70 लाख से अधिक लोग आत्महत्या कर रहे हैं, यानी प्रतिदिन 400 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। इंजीनियरिंग और मेडिकल के छात्र कई बार मानसिक दबाव में अवसाद की स्थिति में पहुंच जाते हैं, उनका व्यवहार बदल जाता है और आत्महत्या के विचार आने लगते हैं।
एआई आधारित व्हाट्सएप चैटबॉट Never Alone App for Mental Health
इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए एम्स दिल्ली ने ग्लोबल सेंटर ऑफ इंटीग्रेटिव हेल्थ के सहयोग से ‘नेवर अलोन’ एप (Never Alone App for Mental Health) तैयार किया है, जो एआई आधारित व्हाट्सएप चैटबॉट है। इस एप के जरिए छात्र अपने लक्षणों के आधार पर मनोचिकित्सकों से परामर्श पा सकेंगे। एप को पिछले महीने लॉन्च किया गया था और जल्द ही इसे एम्स दिल्ली, एम्स भुवनेश्वर और मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (IHBAS) शाहदरा के छात्रों के लिए निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।
वर्ष 2022 में प्रति लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की दर 12.4 थी, जिनमें से 18 से 45 वर्ष की आयु वर्ग के लोग करीब 66 प्रतिशत थे। इस alarming स्थिति से निपटने के लिए वर्ष 2022 में राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (NSPS) की शुरुआत की गई थी, जिसका लक्ष्य 2030 तक आत्महत्याओं में 10 प्रतिशत तक की कमी लाना है। एम्स की यह पहल इसी दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है।
एआई आधारित यह चैटबॉट छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का विश्लेषण कर परामर्श का सुझाव देगा। यदि छात्र स्वीकृति देते हैं, तो रिपोर्ट पैनल में उपलब्ध मनोचिकित्सक को भेजी जाएगी, जो ऑनलाइन काउंसलिंग और चिकित्सीय सलाह देंगे।
एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. नंद कुमार के अनुसार,
यदि छात्र चाहें तो एप के माध्यम से ओपीडी स्लॉट भी बुक कर सकेंगे, ताकि वे व्यक्तिगत रूप से विशेषज्ञ से मिल सकें।
‘नेवर अलोन’ एप का उद्देश्य छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकना, मानसिक तनाव को कम करना और सहायता को तुरंत सुलभ बनाना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि
यह कदम मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाएगा और भारत में आत्महत्या की बढ़ती दर को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।