नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की मुश्किलें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अब कार्ति को नोटिस जारी किया है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है, जिसमें ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
ईडी ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चार हफ्तों में जवाब मांगा है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे देने से मना कर दिया है, जिससे ट्रायल पर लगी रोक फिलहाल बनी रहेगी।
मनी लॉन्ड्रिंग का क्या है मामला?
मार्च 2025 में ईडी ने PMLA (धनशोधन निवारण अधिनियम) के तहत कार्ति चिदंबरम और उनके करीबियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। इस जांच की जड़ें FIPB (Foreign Investment Promotion Board) से जुड़े एक कथित भ्रष्टाचार मामले में हैं, जिसमें विदेशी कंपनियों को निवेश की मंजूरी दिलवाने के लिए कथित तौर पर रिश्वत ली गई थी।
इस केस में Advantage Strategic Consulting Pvt. Ltd. (ASCPL) कंपनी, कार्ति के सहयोगी एस. भास्कररमन, और कुछ अन्य लोग जांच के दायरे में हैं।
किन कंपनियों के नाम सामने आए?
सीबीआई की एफआईआर के आधार पर चल रही ईडी की जांच में जिन कंपनियों के नाम सामने आए हैं, उनमें शामिल हैं:
- Diageo Scotland (UK)
- Sequoia Capital (Mauritius)
- Vasan Healthcare Pvt. Ltd.
इन कंपनियों पर शक है कि इन्होंने अवैध तरीके से ASCPL को बड़ी धनराशि ट्रांसफर की।
पुराने मामले पहले से ही चल रहे हैं
गौरतलब है कि कार्ति चिदंबरम पहले ही दो बड़े मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं:
- INX मीडिया घोटाला, जिसमें विदेशी निवेश को लेकर अनियमितताओं का आरोप है।
- चीनी नागरिकों को वीजा दिलवाने के बदले रिश्वत लेने का मामला, जो पंजाब की वेदांता प्रोजेक्ट से जुड़ा है।
राजनीतिक तकरार तेज
ईडी के इस कदम को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। जहां एक ओर बीजेपी इस मामले को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है, वहीं विपक्ष इसे बदले की कार्रवाई करार दे रहा है।