दिल्ली से एक अहम कानूनी फैसला सामने आया है, जिसने ‘स्त्रीधन’ की परिभाषा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक महिला की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए साफ कहा कि शादी में दी गई हर चीज को स्त्रीधन नहीं माना जा सकता, जब तक उसके पर्याप्त प्रमाण न हों।
क्या है मामला?
दिल्ली की एक महिला ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया था कि उसकी शादी 2021 में हुई थी और शादी के समय उसे कार और अन्य उपहार दिए गए थे, जिन्हें वह अब वापस चाहती है। महिला का आरोप था कि शादी के बाद उसे ससुराल में प्रताड़ना झेलनी पड़ी, जिसके चलते वह वहां से अलग हो गई।
कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?
महिला ने याचिका में कार और अन्य वस्तुओं को ‘स्त्रीधन’ बताते हुए उन्हें वापस दिलाने की मांग की थी। लेकिन अदालत ने पाया कि:
- महिला ने कोई बिल, दस्तावेज़ या तस्वीरें पेश नहीं कीं जो इन वस्तुओं की उसकी मिल्कियत साबित कर सकें।
- स्त्रीधन की जो लिस्ट दी गई, वो अप्रमाणित थी – न एफिडेविट, न कोई साक्ष्य।
- केवल मौखिक बयान और एक विवादित लिस्ट के आधार पर कोर्ट कोई आदेश नहीं दे सकता।
न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनिका की अदालत ने स्पष्ट कहा कि, “कानून किसी के दावे पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करता, जब तक कि उसके समर्थन में ठोस सबूत न हों।”
बचाव पक्ष ने क्या कहा?
महिला के पति और ससुराल पक्ष की ओर से कोर्ट में दावा किया गया कि:
- विवादित कार महिला की बहन को दी गई थी, जिसकी शादी भी उसी दिन हुई थी।
- स्त्रीधन की लिस्ट झूठी और गढ़ी गई है।
- यह याचिका ब्लैकमेलिंग और पैसे वसूलने का एक प्रयास है।
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी और साफ किया कि केवल आरोप लगाने से कुछ साबित नहीं होता, सबूत ज़रूरी हैं।
क्या कहता है कानून स्त्रीधन को लेकर?
भारतीय कानून के मुताबिक, शादी के समय या बाद में लड़की को जो भी उपहार, संपत्ति या गहने दिए जाते हैं, वो स्त्रीधन कहलाते हैं। लेकिन इसके लिए स्पष्ट सबूत ज़रूरी होता है — जैसे बिल, गवाह, फोटो या एफिडेविट।
इस फैसले का बड़ा मतलब क्या है?
यह मामला उन हजारों दंपतियों के लिए मिसाल बन सकता है, जहां तलाक या विवाद के बाद स्त्रीधन को लेकर झगड़े होते हैं। कोर्ट का यह कहना कि “शादी में दी गई हर चीज स्त्रीधन नहीं होती” यह साफ करता है कि:
झूठे या दुर्भावनापूर्ण केस की कोई जगह नहीं
सिर्फ दावा करने से संपत्ति वापस नहीं मिल सकती
हर दावे के लिए पुख्ता सबूत ज़रूरी है