सीजी भास्कर, 04 अक्टूबर। प्लास्टिक और माइक्रोप्लास्टिक की तरह कीटनाशक मानव सभ्यता के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। हमारे वायुमंडल और खानपान में कीटनाशकों की मौजूदगी के सुबूत तो पहले ही मिल चुके हैं, लेकिन नए अध्ययन में बादलों में भी इनकी मौजूदगी (Pesticides in Clouds) ने खतरनाक संकेत देने शुरू कर दिए हैं। विज्ञानी अध्ययन में पाया गया कि बादलों में मौजूद ये कीटनाशक बारिश की बूंदों के साथ हर चीज पर बरस रहे हैं और उसे प्रदूषित कर रहे हैं।
फ्रांस के क्लेरमोंट औवर्गे विश्वविद्यालय की रसायनशास्त्री एंजेलिका बियान्को के नेतृत्व में फ्रांस और इटली के विज्ञानी दलों ने 2023 से 2024 के बीच विभिन्न मौसमों में बादलों और बारिश के पानी के नमूनों का अध्ययन किया। बारिश के पानी में 32 तरह के कीटनाशक पाए गए। खास बात यह है कि इन कीटनाशकों का प्रयोग यूरोप में पिछले एक दशक से प्रतिबंधित है। यह खुलासा अब वायुमंडलीय प्रदूषण (Pesticides in Clouds) पर नए सवाल खड़े कर रहा है।
बियान्को ने बताया कि एक तिहाई नमूनों में कीटनाशकों की मात्रा पीने के पानी के लिए तय मानक से भी अधिक पाई गई। अध्ययन के आधार पर अनुमान है कि निचले और मध्यम ऊंचाई वाले बादलों में कीटनाशकों की मात्रा छह से लेकर 139 टन तक हो सकती है। यानी ये समस्या केवल धरती पर ही नहीं, बल्कि ऊपरी वायुमंडल (Pesticides in Clouds) तक फैल चुकी है।
आसान नहीं बादलों को पकड़ना
उन्होंने बताया कि दो मौसमों में विभिन्न जगहों से बारिश के पानी के नमूने इकट्ठे किए गए। फ्रांस में पुए डे डोम वेधशाला में बादलों के नमूने एकत्र किए गए। ये बादल 10 से 50 माइक्रोमीटर आकार की बूंदों से बनते हैं। इन बादलों को बूगी नाम की मशीन के जरिये एकत्र किया गया। अध्ययन से अनुमान लगाया गया कि फ्रांस के ऊपर मंडराने वाले बादलों में 6.4 से लेकर 139 टन तक कीटनाशक (Pesticides in Clouds) हो सकते हैं।
बियान्को ने बताया कि कीटनाशक हर जगह पाए जाते हैं, चाहे वो नदी हो, झील हो, भूमिगत पानी हो या बारिश। लेकिन अब यह साफ हुआ कि बादलों में भी कीटनाशकों का ठिकाना है। वायुमंडल की गतिशीलता के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों तक यह पहुंच रहे हैं। यानी प्रदूषण से सीधे संपर्क में न रहने वाली जगहें भी इस खतरे से अछूती नहीं हैं। यह अध्ययन वैश्विक पर्यावरणीय प्रदूषण (Pesticides in Clouds) के नए स्तर को दर्शाता है।
बादलों में बदल जाता है कीटनाशकों का स्वरूप
बियान्को ने बताया कि बादल केमिकल रिएक्टर की तरह काम करते हैं। सूर्य की किरणों से मिलकर बादलों में फोटोकेमिकल प्रतिक्रिया होती है, जिससे कीटनाशकों का स्वरूप बदल जाता है। यानी मूल रूप से अलग तरह का यौगिक बनता है। यह तथ्य भी वायुमंडलीय रसायन (Pesticides in Clouds) पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
पहले भी हो चुके हैं प्रयोग
हाल में शोधकर्ता लुडोविक मेयर और उनकी टीम ने यूरोप के 29 स्थानों पर वायुमंडलीय एरोसोल में कीटनाशकों की मौजूदगी पाई। कई नमूनों में ये क्षोभमंडल यानी ट्रोपोस्फेयर तक दर्ज किए गए। 1990 के दशक में भी बारिश में कीटनाशकों की मौजूदगी पर अध्ययन हुआ था, लेकिन मात्राओं का पता नहीं चल सका। 1991 में जर्मन शोधकर्ता फ्रांस ट्राटनर की टीम ने बादलों में मौजूद अट्राजाइन हर्बीसाइड (Pesticides in Clouds) का पता लगाया था, जिसे बाद में प्रतिबंधित कर दिया गया।