जानिए क्या बदलेगा
सीजी भास्कर, 10 सितम्बर। रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने DGP अरुण देव गौतम ने 7 IPS अफसरों की टीम बनाई है।
इसमें ADG प्रदीप गुप्ता को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। (Police commissionerate system)

अफसरों की ये टीम ड्राफ्ट बनाकर DGP अरुण को सौपेंगी।
ADG प्रदीप गुप्ता की ड्राफ्टिंग कमेटी में नारकोटिक्स IG अजय यादव, रायपुर रेंज IG अमरेश मिश्रा, IG ध्रुव गुप्ता, DIG अभिषेक मीणा, DIG संतोष सिंह और SP प्रभात कुमार मेंबर बनाए गए हैं।
ये सभी सीनियर IPS अधिकारी हैं, जो दूसरों राज्यों के वर्क सिस्टम का भी स्टडी करेंगे। (Police commissionerate system)
CM विष्णुदेव साय ने में 15 अगस्त को पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का ऐलान किया था। रायपुर छत्तीसगढ़ का पहला जिला होगा, जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होगा।
रायपुर में ये सिस्टम 1 नवंबर 2025 से लागू हो सकता है। (Police commissionerate system)
पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा, तो बिलासपुर, दुर्ग, समेत अन्य जिलों में इस सिस्टम को शुरू किया जा सकता है।
कमिश्नर प्रणाली में पुलिस के पास और क्या-क्या ताकत ?
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में कमिश्नर को कलेक्टर जैसे कुछ अधिकार मिलते हैं। वे मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सकते हैं।
कानून के नियमों के तहत दिए गए अधिकार उन्हें और भी प्रभावी बनाते हैं। इससे कलेक्टर के पास लंबित फाइलें कम होती हैं। फौरन कार्रवाई संभव होती है।

इस प्रणाली में पुलिस को शांति भंग की आशंका में हिरासत, गुंडा एक्ट, या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) जैसी धाराएं लगाने का अधिकार मिलता है। (Police commissionerate system)
होटल, बार और हथियारों के लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति, दंगे में बल प्रयोग और जमीन विवाद सुलझाने तक के निर्णय पुलिस स्तर पर लिए जा सकते हैं।
अब जानिए पुलिस कमिश्नर सिस्टम में कौन-कौन से पोस्ट होते हैं ?
पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पोस्ट की बात करें तो पुलिस कमिश्नर (CP), संयुक्त पुलिस आयुक्त (Jt. CP), अपर पुलिस आयुक्त (Addl. CP), पुलिस उपायुक्त (DCP), अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (Addl. DCP), सहायक पुलिस आयुक्त (ACP), पुलिस निरीक्षक (PI/SHO), उप-निरीक्षक (SI) और कॉन्स्टेबल की पोस्ट होती है।
अब जानिए पुलिस कमिश्नर सिस्टम कैसे करता है काम ?
पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होने से कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। ADG स्तर के सीनियर IPS को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है।
भोपाल जैसे शहरों पर IG रैंक के अधिकारी को पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके साथ ही महानगर को कई जोन में बांटा जाता है।
हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है, जो एसएसपी की तरह उस जोन में काम करते हैं, वो उस पूरे जोन के लिए जिम्मेदार होता है। (Police commissionerate system)
इसके साथ ही सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं। ये 2 से 4 थानों को देखते हैं।
रायपुर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम क्यों लागू किया जा रहा ?
रायपुर जिले में क्राइम रेट में लगातार इजाफा हुआ है। जिले में जनवरी से लेकर अब तक लगभग 6 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। जनवरी 2025 से अब तक 50 से ज्यादा मर्डर हुए हैं। (Police commissionerate system)
इनमें 95 फीसदी मामलों में आरोपी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। चाकूबाजी के 65 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं।
लूट चोरी के मामले भी बढ़े
इसके अलावा नशीली सामग्रियों के बिक्री, मारपीट, चोरी और लूट की घटनाएं भी बढ़ी है।
पिछले 6 महीने में रायपुर में धार्मिक विवाद (मसीही–हिंदू संगठन) के बीच भी इजाफा हुआ है।
इन सब स्थिति को देखते हुए कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा सीएम साय ने की है। (Police commissionerate system)
राजधानी में जवानों की कमी, जरूरत 7000 पुलिस बल की
रायपुर में 25 साल पहले 8 लाख आबादी पर 3825 की फोर्स थी, अब 25 लाख आबादी पर 2980 पुलिस जवान है।
लेकिन कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस में जरूरी फोर्स ही नहीं है। (Police commissionerate system)
25 साल पहले जब रायपुर राजधानी बना था तो आबादी 8 लाख थी। उस हिसाब से पुलिस में 3700 की फोर्स मंजूर की गई। फिर कुछ नए थाने और सीएसपी ऑफिस खुले तो फोर्स बढ़कर 3825 हो गई।
अब आबादी 25-26 लाख हो गई। लोग समय के साथ रिटायर होते गए और फोर्स घटकर 2980 हो गई।
रायपुर पुलिस में जितने पद मंजूर हैं, उसे भी भरा नहीं जा रहा है, जबकि आबादी के अनुपात में फोर्स बढ़ाकर 7000 करने की जरूरत है। थानों में पर्याप्त स्टाफ नहीं है।
सबसे ज्यादा रायपुर में सिपाहियों की कमी है। 750 से ज्यादा सिपाहियों के पद खाली हैं। ट्रैफिक में 525 का बल मंजूर हैं, लेकिन इसमें भी भर्ती नहीं हुई है। (Police commissionerate system)
कई जवानों के रिटायरमेंट के बाद अभी 395 का बल तैनात है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार सिपाही-हवलदार पुलिस की रीढ़ होती है। इन्हीं से थाना चलता है और लॉ एंड ऑर्डर संभलता है।
हर दो साल में सिपाहियों की भर्ती होनी चाहिए। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और जिला और बटालियन में पर्याप्त फोर्स रहेंगे।
7 माह में 38 पुलिस वाले रिटायर
रायपुर में इस साल 7 माह के भीतर 38 पुलिस वाले रिटायर हो गए। इसमें थानों में पदस्थ स्टाफ से लेकर ऑफिस में पदस्थ कर्मचारी शामिल हैं। (Police commissionerate system)
आने वाले 5 माह में भी बड़ी संख्या में रिटायरमेंट हैं, जबकि पिछले साल 54 लोग रिटायर हुए थे। यानी पिछले डेढ़ साल में 92 लोग रिटायर हुए हैं, लेकिन उनकी जगह कोई आया नहीं है।
बटालियन में सिपाहियों की कमी
राज्य के जिलों के अलावा बटालियन में भी सिपाहियों की कमी है। इसमें भी लंबे समय से सिपाहियों की भर्ती नहीं हुई है।
बटालियन में पहले जो सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे, वे हवलदार बन गए।
जो हवलदार थे वे प्रमोट होकर एएसआई बन गए। इसलिए राज्य में सिपाहियों की कमी होती जा रही है। छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में भी फोर्स की कमी है।
केंद्र के मानकों पर 4570 फोर्स होनी चाहिए
- भारत के मानकों पर 547 लोगों पर एक पुलिस जवान होना चाहिए। 25 लाख की आबादी पर 4570 पुलिस वाले होना चाहिए।
- अमेरिका में 450 की आबादी में एक पुलिस होना चाहिए। अगर 25 लाख की आबादी है तो 5550 पुलिस वाले होना चाहिए।
जानिए दूसरे राज्यों में कैसे चलता है पुलिस कमिश्नर सिस्टम ?
राजस्थान में एसीपी को प्रतिबंधात्मक धाराओं से जुड़े केसों में सुनवाई करने का और फैसला करने का अधिकार दिया गया है।
कमिश्नरेट में ही न्यायालय लगता है। इनमें से ज्यादातर धाराएं शांतिभंग या पब्लिक न्यूसेंस रोकने से जुड़ी हैं।
इन मामलों में जमानत देने या न देने का फैसला पुलिस अधिकारी ही करते हैं।
महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस कमिश्नर के पास अपराधियों को जिला बदर करने, जुलूस और जलसों की अनुमति देने, किसी भी जगह को सार्वजनिक स्थल घोषित करने, आतिशबाजी करने की अनुमति के अधिकार हैं।
संतान गोद लेने की अनुमति भी नागपुर में पुलिस कमिश्नर ही देता है।
यूपी के लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू है। वहां 14 एक्ट के अधिकार पुलिस को दिए गए हैं।
सीआरपीसी की धारा 133 और 145 के तहत पब्लिक न्यूसेंस को काबू में करने के लिए एहतियाती कदम उठाना जैसे अधिकार भी प्रशासन से पुलिस को दे दिए गए हैं।