सीजी भास्कर, 22 नवंबर। जन्म कुंडली (Kundli Matching Advice) ज्योतिष में व्यक्ति के स्वभाव, भविष्य, करियर, विवाह और जीवन से जुड़े कई पहलुओं को समझने का महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है। इसे जन्म तिथि, समय और जन्मस्थान के आधार पर तैयार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की स्थिति और चाल जीवन पर कई तरह के प्रभाव डालती है। इसी कारण शादी, करियर, स्वास्थ्य या जीवन के कई अहम फैसलों में लोग कुंडली को प्राथमिकता देते हैं। इसी विषय पर प्रेमानंद महाराज (Premanand Maharaj) ने अपने प्रवचन में विस्तार से बात की।
कुंडली बनवाना क्यों जरूरी
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि पारंपरिक विवाह की दृष्टि से कुंडली बनवाना उपयोगी माना जाता है, क्योंकि इसके माध्यम से गुण मिलाए जाते हैं (Kundli Matching Advice)। हालांकि आज के समय में लव मैरिज और लिव-इन रिलेशन जैसे रिश्तों का बढ़ता चलन कुंडली को कम महत्व देता है, फिर भी उन्होंने स्पष्ट कहा कि कुंडली बनवा लेना चाहिए, क्योंकि यह शास्त्रीय पद्धति का हिस्सा है और मार्गदर्शन देती है।
कुंडली मिले फिर भी झगड़ा क्यों
प्रवचन के दौरान एक श्रोता ने पूछा कि कुंडली मिलने के बाद भी दांपत्य जीवन में लड़ाई क्यों होती है? इस पर प्रेमानंद महाराज ने बताया कि कुंडली मिलने से शांति नहीं मिलती, शांति तब मिलती है जब पति-पत्नी के विचार और व्यवहार एक-दूसरे से मेल खाते हों (Marriage Tips)। उन्होंने कहा कि लड़ाई तब रुकती है जब दोनों जीवनसाथी धैर्य, समझ और सम्मान का पालन करते हैं। अगर पत्नी कटु वचन बोले तो पति को शांत रहकर स्थिति संभालनी चाहिए, क्योंकि तकरार कभी समाधान नहीं देती।
Premanand Maharaj रिश्ते की मजबूती व्यवहार से
महाराज ने कहा कि दांपत्य जीवन की सफलता कुंडली पर नहीं, बल्कि विचारों की समानता और एक-दूसरे की गलतियों को स्वीकार करने की क्षमता पर निर्भर करती है (Premanand Maharaj Pravachan)। जीवनसाथी को एक-दूसरे की कमियां निकालने के बजाय सहयोग, संवाद और समझ पर ध्यान देना चाहिए। कुंडली सिर्फ दिशा दिखाती है, लेकिन रिश्ते की मजबूती आपसी व्यवहार, सम्मान और संयम से ही बनती है।
