भारत में 1952 में विलुप्त घोषित किए गए चीतों को फिर से बसाने की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया गया है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के बाद अब बोत्सवाना से आठ (Project Cheetah Update) चीते भारत भेजे जाएंगे। बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की बोत्सवाना यात्रा के दौरान इस ऐतिहासिक घोषणा की गई। दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत बोत्सवाना भारत को प्रतीकात्मक रूप से ये चीते सौंपेगा।
बोत्सवाना के राष्ट्रपति ड्यूमा गिदोन बोको ने कहा कि उनका देश गुरुवार को एक विशेष समारोह में इन आठ चीतों को भारत के नाम समर्पित करेगा। ये सभी चीते फिलहाल मोकोलोडी प्राकृतिक अभयारण्य के क्वारंटाइन क्षेत्र में रखे जाएंगे और तय प्रक्रियाओं के बाद कुछ महीनों में भारत लाए जाएंगे। राष्ट्रपति मुर्मु ने इस सद्भावना gesture के लिए बोत्सवाना सरकार का आभार व्यक्त किया और कहा हम इन चीतों की पूरी देखभाल करेंगे। यह भारत और बोत्सवाना की मित्रता का प्रतीक होगा। राष्ट्रपति बोको ने मुस्कराते हुए कहा कि उनमें से एक चीते का नाम उनके नाम पर “ड्यूमा” रखा गया है, जो गति, चपलता और झपटने की क्षमता का प्रतीक है।
मोदी के जन्मदिन पर शुरू हुआ था ‘प्रोजेक्ट चीता’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन (Project Cheetah Update) 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़कर इस वैश्विक परियोजना की शुरुआत की थी। यह दुनिया का पहला ऐसा प्रयास था, जिसमें किसी बड़े जंगली मांसाहारी प्रजाति को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते भारत लाए गए।
अब देश में 27 चीते, 16 भारत में जन्मे
प्रोजेक्ट चीता की शुरुआत के तीन साल बाद अब भारत में कुल 27 चीते हैं, जिनमें से 16 भारतीय धरती पर ही जन्मे हैं। फिलहाल 24 चीते मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में और तीन गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में हैं। हालांकि परियोजना शुरू होने के बाद से अब तक 19 चीतों की मौत हो चुकी है, जिनमें नौ विदेशी वयस्क और 10 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं। इसके बावजूद संरक्षण प्रयास जारी हैं और कूनो में अब तक 26 शावक पैदा हो चुके हैं।
चीतों का गढ़ है बोत्सवाना
धरती पर मौजूद करीब 7,100 चीतों में से लगभग 30 प्रतिशत बोत्सवाना में पाए जाते हैं। इस देश के जंगली क्षेत्र, खासकर कालाहारी के शुष्क इलाके, चीतों के प्राकृतिक आवास के रूप में प्रसिद्ध हैं। बोत्सवाना से आने वाले ये चीते भारत में जीन विविधता और वन्य संतुलन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
