सीजी भास्कर, 5 अगस्त |
छत्तीसगढ़ में रायपुर से बिलासपुर तक की सबसे व्यस्त और अहम नेशनल हाइवे अब सवालों के घेरे में है। करीब 1500 करोड़ की लागत से बनी 127 किलोमीटर की इस कंक्रीट रोड में 6600 पैनल लगाए गए थे, जिनमें से 5800 पैनलों में महज 3-4 साल में ही दरारें आ गईं। एनएचएआई अब इन्हें उखाड़कर दोबारा बदलवा रहा है।
सड़क बनी लेकिन टिक नहीं पाई
इस हाईवे को बनाने के लिए 2018 में एलएंडटी, दिलीप बिल्डकॉन और पुंज एलायड जैसी नामी कंपनियों को टेंडर मिला था। 2021 में सड़क बनकर तैयार हुई, लेकिन 2023 से ही गाड़ियों को झटके लगने लगे। स्थानीय लोगों और ट्रैफिक उपयोगकर्ताओं ने शिकायतें दर्ज कराईं कि सड़क में बार-बार पैचवर्क और उखड़ाव की नौबत आ रही है।
दो घंटे का सफर अब ले रहा तीन घंटे
रोज़ाना इस रूट से करीब 2 लाख वाहन गुजरते हैं, जिनका सफर पहले दो घंटे में पूरा हो जाता था। मगर अब, टूटी-फूटी सड़क और ongoing मरम्मत के चलते इसमें तीन घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है।
पैनल क्यों बदले जा रहे हैं?
एनएचएआई (NHAI) के नियम के मुताबिक, अगर कंक्रीट सड़क में दरार 4MM से ज्यादा हो जाए, तो उस पूरे पैनल को हटाकर दोबारा डाला जाता है। रायपुर-बिलासपुर हाईवे पर ऐसा ही हो रहा है।
अब तक 5800 पैनल बदले जा चुके हैं, और 800 पैनल सितंबर 2025 तक बदलने का टारगेट तय किया गया है।
सड़क तीन हिस्सों में बनी, तीनों में खामी
एनएचएआई ने इस प्रोजेक्ट को तीन खंडों में बांटा – रायपुर से सिमगा, सिमगा से सरगांव और सरगांव से बिलासपुर। तीनों हिस्सों में ही दरारें सामने आईं, जिससे ठेका एजेंसियों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
कंक्रीट रोड में आमतौर पर दरारें नहीं आतीं, लेकिन यहां मामला उलटा है।
क्यों होती है पैनल में दरार?
विशेषज्ञों का कहना है कि सही curing ना होने, मिक्स डिजाइन में गड़बड़ी या घटिया मटेरियल की वजह से ऐसा हो सकता है। इसके अलावा, भारी वाहनों की लगातार आवाजाही और थर्मल एक्सपेंशन भी पैनल को नुकसान पहुंचा सकती है।
एनएचएआई की चुप्पी, जवाबदेही पर सवाल
हालांकि एनएचएआई अफसरों ने मरम्मत कार्य के तेज़ी से चलने का दावा किया है, लेकिन प्रोजेक्ट की निगरानी और गुणवत्ता जांच पर चुप्पी साधी हुई है। लोगों की मांग है कि इस पूरी गड़बड़ी की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए।