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Home » Rajveer Singh Wrong Arrest : एक अक्षर की चूक, 17 साल की सजा, बेगुनाह राजवीर ने 300 पेशियों के बाद पाया इंसाफ

Rajveer Singh Wrong Arrest : एक अक्षर की चूक, 17 साल की सजा, बेगुनाह राजवीर ने 300 पेशियों के बाद पाया इंसाफ

By Newsdesk Admin 28/07/2025
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Rajveer Singh Wrong Arrest
Rajveer Singh Wrong Arrest

सीजी भास्कर, 29 जुलाई : पुलिस की लिखा-पढ़ी में एक चूक निर्दोष किसान पर भारी पड़ गई। एक अक्षर की गलती से रामवीर सिंह की बजाय राजवीर सिंह को 22 दिन जेल में काटने पड़े। गैंग्सटर एक्ट में निरुद्ध राजवीर ने अपनी बेगुनाही को साबित करने के लिए 17 साल तक केस लड़ा। इस दौरान 300 बार सुनवाई में गए। आखिरकार राजवीर को गुरुवार को न्याय मिला। रविवार को उन्होंने पूरे मामले में हुई अदालती सुनवाई के बारे में जानकारी दी। अदालत ने गलत प्रकार से आरोप पत्र भेजने के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

कोतवाली इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ने 31 अगस्त, 2008 में राजवीर सिंह, मनोज यादव, प्रवेश यादव और भोला के खिलाफ गिरोहबंद अपराध की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। दन्नाहार थाना के तत्कालीन उप निरीक्षक विवेचक शिवसागर दीक्षित ने एक दिसंबर 2008 को गैंग्सटर एक्ट सहित तीन अन्य मामले दर्शाकर राजवीर को गिरफ्तार कर जेल(Rajveer Singh Wrong Arrest) भेज दिया। राजवीर सिंह ने बताया, ये गैंग्सटर का मुकदमा उनके भाई रामवीर के खिलाफ दर्ज हुआ था। जेल जाने के बाद राजवीर के स्वजन उन्हें निर्दोष साबित करने के लिए पुलिस के चक्कर काटते रहे।

उस समय गैंग्सटर के मामलों की सुनवाई आगरा न्यायालय में हो रही थी तो स्वजन ने अधिवक्ता के माध्यम से वहां भी प्रार्थना पत्र दिया। राजवीर पर तीन अन्य मुकदमे का इतिहास दर्शाया गया। जबकि उनके खिलाफ कोई मामला ही दर्ज नहीं था। आगरा न्यायालय ने कोतवाली इंस्पेक्टर ओमप्रकाश और विवेचक शिवसागर दीक्षित को तलब किया तो इंस्पेक्टर ने स्वीकारा कि राजवीर का नाम मुकदमे में गलत दर्ज हो गया है और आपराधिक इतिहास उसके भाई रामवीर का है। इस पर न्यायालय ने राजवीर को जेल से 20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहाई के आदेश दिए। न्यायालय ने तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक कोतवाली ओमप्रकाश, तत्कालीन थानाध्यक्ष दन्नाहार संजीव कुमार, उप निरीक्षक राधेश्याम सहित अन्य दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया था।

इसके बाद पुलिस ने फिर लापरवाही की। विवेचक ने उसके भाई रामवीर का नाम जोड़ने के बजाय प्रवेश, भोला, मनोज सहित राजवीर के खिलाफ ही चार्जशीट कोर्ट में भेज दी। 2012 में मुकदमा ट्रायल पर आया। मैनपुरी में गैंग्सटर कोर्ट की स्थापना होने पर यहां ट्रायल चला। राजवीर के अधिवक्ता विनोद कुमार यादव ने बताया कि अब 17 साल बाद एडीजे विशेष गैंग्सटर एक्ट स्वप्नदीप सिंघल ने साक्ष्यों के आधार पर राजवीर को मुकदमे से बरी(Rajveer Singh Wrong Arrest) कर दिया है।

डीएम-एसपी ने भी नहीं दिया कोई ध्यान : राजवीर की केस फाइल के विश्लेषण में कोर्ट ने कई खामी पाई हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि पुलिस की लापरवाही रही, अधिकारियों ने भी अनदेखी की। गलती पकड़ में आने के बाद कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया गया। अधिवक्ता विनोद कुमार यादव ने बताया न्यायालय ने यह भी पाया कि तत्कालीन एसपी और डीएम ने भी गैंग चार्ट का अनुमोदन बिना संबंधित प्रपत्रों का अवलोकन किए ही यांत्रिक रूप से कर दिया, जिससे एक निर्दोष व्यक्ति को 22 दिन जेल(Rajveer Singh Wrong Arrest) में रहना पड़ा।

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TAGGED: 17 years legal battle, gangster act mistake UP, innocent jailed due to name error, Manpuri court judgment, police negligence India, Rajveer Singh Wrong Arrest, Rajveer vs Ramveer case
Newsdesk Admin 28/07/2025
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