सीजी भास्कर, 14 अक्टूबर। मंगलवार को जारी एक नई आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया 50 प्रतिशत आयात शुल्क साल के अंत तक जारी रहता है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI Repo Rate Cut December 2025) दिसंबर में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, अगर ऐसा हुआ तो रेपो रेट घटकर 5.25 प्रतिशत रह जाएगी। एचएसबीसी बैंक की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सरकार विकास को बढ़ावा देने के लिए नए आर्थिक सुधारों और निर्यातकों के लिए विशेष राजकोषीय पैकेज की घोषणा कर सकती है।
खुदरा महंगाई आठ साल के निचले स्तर पर पहुंची
रिपोर्ट में बताया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति (RBI Repo Rate Cut December 2025) इस समय आठ वर्षों के निचले स्तर पर आ चुकी है। महंगाई में गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में कमी, अनाज के अच्छे उत्पादन और भंडारण के भरपूर होने के कारण दर्ज की गई है। खाद्य कीमतों में वार्षिक और क्रमिक दोनों तरह से उल्लेखनीय गिरावट आई है।
एचएसबीसी का अनुमान है कि अक्टूबर में महंगाई दर एक प्रतिशत से भी नीचे जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेल की कीमतों में कमी और चीन से सस्ते निर्यात के चलते आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रहने की संभावना है।
अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है यह निर्णय
रिपोर्ट के मुताबिक, रेपो रेट में संभावित कटौती (RBI Repo Rate Cut December 2025) से अर्थव्यवस्था में नई जान आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ब्याज दरों में कमी से निवेश बढ़ेगा और ऋण बाजार में गति आएगी। इसके साथ ही उपभोक्ता मांग में भी सुधार देखने को मिलेगा, जो सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर के लिए सकारात्मक संकेत होगा।
एचएसबीसी की रिपोर्ट यह भी बताती है कि पिछले कुछ महीनों में औद्योगिक उत्पादन और सेवा क्षेत्र दोनों में सुधार के संकेत मिले हैं। हालांकि, निर्यात क्षेत्र पर अमेरिकी शुल्क का दबाव बना हुआ है, जिसे दूर करने के लिए सरकार अतिरिक्त राहत उपायों पर विचार कर रही है।
राजकोषीय पैकेज से निर्यातकों को मिल सकती है राहत
सरकार विकास को बढ़ावा देने के लिए नए आर्थिक सुधारों के साथ-साथ निर्यातकों के लिए एक राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज तैयार कर रही है। इसका उद्देश्य अमेरिकी शुल्कों से प्रभावित व्यापारिक गतिविधियों को स्थिर करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर रेपो रेट में कटौती और राजकोषीय पैकेज दोनों लागू हुए, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा प्रोत्साहन सिद्ध हो सकता है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मौद्रिक नीति में ढील देने की गुंजाइश बनी हुई है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर कीमतें स्थिर हो रही हैं। यदि तेल और कमोडिटी कीमतें इसी तरह नियंत्रित रहीं, तो दिसंबर तक रेपो रेट में कटौती लगभग तय मानी जा रही है।