सीजी भास्कर, 08 मार्च। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के विजयपुर, तखतपुर के राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को सरकारी सेवा से बर्खास्त (Revenue Inspector Dismissed) कर दिया गया है। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जिसके तहत उन्होंने शासन को 3.42 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया।
यह मामला अरपा भैंसाझार परियोजना के मुआवजा घोटाले से संबंधित है। साहू ने अपने पटवारी के कार्यकाल के दौरान रिकॉर्ड में अवैध परिवर्तन किए, जिसके परिणामस्वरूप भू-स्वामियों को अधिक मुआवजा मिला और शासन को राजस्व की हानि हुई।
कलेक्टर ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। साहू ने इस कार्रवाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पटवारी के कार्यकाल की जांच करने का अधिकार कलेक्टर के पास है।
जांच में यह सामने आया कि साहू ने पटवारी हल्का नंबर 45 सकरी में रहते हुए भू-अर्जन मामले में अनियमितताएं की थीं। जुलाई 2021 में की गई प्रारंभिक जांच में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जिसके बाद उन्हें शो कॉज नोटिस जारी किया गया। जब उनका जवाब संतोषजनक नहीं था, तो उन्हें निलंबित कर दिया गया।
जनवरी 2025 में जांच रिपोर्ट में आरोपों के प्रमाणित होने पर छत्तीसगढ़ के भू-अभिलेख संचालक ने साहू को बर्खास्त (Revenue Inspector Dismissed) करने का आदेश दिया।
विभागीय जांच में यह साबित हुआ कि साहू के कार्यों के कारण सरकार को 3 करोड़ 42 लाख 17 हजार 920 रुपए की आर्थिक हानि हुई। 8 साल की कानूनी लड़ाई के बाद यह मामला अंततः निष्कर्ष पर पहुंचा है।
जानिए पूरा मामला क्या है (Revenue Inspector Dismissed)
राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू ने अपने पटवारी कार्यकाल के दौरान अरपा भैंसाझार परियोजना के तहत चकरभाठा वितरक नहर के निर्माण के लिए ग्राम सकरी की 0.90 एकड़ भूमि को व्यावसायिक रूप से परिवर्तित भूमि के रूप में दर्ज किया।
अभिलेख में अवैध रूप से सुधार करने के कारण भूस्वामी मनोज अग्रवाल को 3 करोड़ 4 लाख 80 हजार 49 रुपए का मुआवजा दिया गया। पटवारी साहू द्वारा किए गए इस अवैध सुधार के चलते शासन को 3.42 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।