सीजी भास्कर, 5 नवंबर। छत्तीसगढ़ सरकार ने सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब बेसहारा पशुओं (Safe Roads Mission Chhattisgarh) के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए छह विभाग और जनप्रतिनिधि (public representatives) मिलकर काम करेंगे। परिवहन विभाग ने इसके लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी कर दी है, जिसमें सड़क सुरक्षा, निगरानी दलों के गठन, बेसहारा पशुओं के प्रबंधन और आपात सेवाओं से जुड़े सभी विभागों की भूमिकाएं तय की गई हैं।
मुख्य सचिवालय से जारी निर्देशों के अनुसार, कलेक्टरों को आदेशित किया गया है कि ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय स्तर (local monitoring teams) पर निगरानी दल गठित किए जाएं। इन दलों में लोक निर्माण, पुलिस, पशुधन विकास, पंचायत, कृषि और राजस्व विभाग के प्रतिनिधियों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।
सरकार ने सड़कों पर बढ़ते हादसों को देखते हुए राज्यव्यापी विशेष अभियान (statewide road safety drive) चलाने का निर्णय लिया है। इसके तहत प्रत्येक जिले में उन स्थानों की पहचान की जाएगी जहां सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण हादसे सबसे ज्यादा होते हैं। इन क्षेत्रों को हाई रिस्क और मॉडरेट रिस्क जोन (high-risk and moderate-risk zones) के रूप में चिह्नित किया जाएगा।
सड़क पर घूमते पशु जाएंगे गौशाला या कांजी हाउस
अभियान के तहत सड़कों पर घूमते बेसहारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं, गौ अभयारण्यों या कांजी हाउस (cattle shelters) में भेजा जाएगा। नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने सभी निकायों को एक माह तक दिन और रात दोनों समय विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टोल-फ्री नंबर 1033 और निदान-1100 (helpline numbers) के व्यापक प्रचार की भी जिम्मेदारी दी गई है। विभाग (Safe Roads Mission Chhattisgarh) ने सभी जिलों के कलेक्टरों, नगर निगमों, नगर पालिकाओं और पंचायत अधिकारियों को परिपत्र जारी कर कहा है कि एसओपी के अनुसार कार्रवाई करें और पशु मालिकों को खुले में पशु न छोड़ने के लिए जागरूक करें।
पशुपालन विभाग की भूमिका और नई व्यवस्थाएं
पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) के सहयोग से बेसहारा पशुओं को रेडियम स्ट्रिप (reflective tape) लगाने का काम शुरू होगा ताकि रात में सड़क हादसे रोके जा सकें। इसके अलावा चिन्हित सड़कों पर स्ट्रीट लाइट और संकेतक बोर्ड (road signboards) लगाने का निर्देश भी दिया गया है। साथ ही सोशल मीडिया और इंटर मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि लोग सड़क पर पशु छोड़ने के खतरों को समझ सकें।
जागरूकता शिविर और पंचायत सहयोग से चलेगा अभियान
नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी निकायों को निर्देश दिए हैं कि पशु मालिकों के लिए जनजागरूकता शिविर (awareness camps) आयोजित करें और खुले में पशु न छोड़ने के लिए प्रेरित करें। यह अभियान न सिर्फ शहरी निकाय क्षेत्रों में बल्कि 10–15 किलोमीटर की परिधि में आने वाले ग्रामीण इलाकों में भी चलाया जाएगा। ग्राम पंचायतों की सहमति और सहयोग से यह पहल पूरे राज्य में सड़क सुरक्षा को नई दिशा देगी।
