भोपाल, 5 अगस्त 2025:
भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मालेगांव विस्फोट मामले में अदालत में दिए गए अपने बयान में ऐसे खुलासे किए हैं, जिन्होंने पूरे राजनीतिक और सामाजिक माहौल को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने दावा किया है कि पूरी जांच प्रक्रिया भगवा विरोधी मानसिकता से प्रेरित थी, और उन्हें न केवल शारीरिक रूप से टॉर्चर किया गया, बल्कि मानसिक रूप से भी तोड़ने की पूरी कोशिश की गई।
“तेरे गुरु को घसीट लाएंगे, भगवा उतार देंगे” – साध्वी का आरोप
साध्वी के मुताबिक, पूछताछ के दौरान उन्हें धमकाया गया कि उनके गुरु को भी घसीटकर लाया जाएगा और उनके सन्यास जीवन की मर्यादा तोड़ दी जाएगी। उन्होंने कोर्ट में कहा,
“उन्होंने कहा, भगवा का नाटक बहुत हो गया… अब तुझे और तेरे गुरु को नंगा करेंगे। तुझे ऐसा तोड़ेंगे कि तू सब कुछ उगल दे।”
मोदी-योगी का नाम लेने का दबाव?
साध्वी ने बताया कि उनसे लगातार यह पूछा गया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विस्फोट का आदेश दिया था? उन्होंने कहा कि यह जबरन कबूल करवाने की कोशिश थी –
“हेमंत करकरे बार-बार पूछते, ‘क्या मोदी ने पैसे दिए? क्या योगी ने कहा था धमाका करो?’ मैं दर्द से कराह रही थी, लेकिन जवाब नहीं बदला।”
13 दिनों का नरक: टॉर्चर की दास्तान
उनके मुताबिक, हिरासत के 13 दिन किसी नरक से कम नहीं थे। उन्होंने बताया कि—
- बेल्ट से बार-बार पीटा गया
- गरम पानी में नमक डालकर हाथ डलवाए गए
- हथेलियों से जबरन कागज की गेंद बनवाई गई
- मानसिक दबाव इतना बढ़ा कि चेतना तक खोने लगी
साध्वी ने आरोप लगाया कि यह सब कुछ एक तय रणनीति का हिस्सा था, ताकि भगवा वस्त्रधारियों को आतंकवाद से जोड़ा जा सके।
क्या थी राजनीतिक प्रेरणा?
साध्वी के खुलासे के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठता है – क्या यह पूरी जांच प्रक्रिया राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित थी? क्या उन्हें सिर्फ इसलिए टारगेट किया गया क्योंकि वह एक सन्यासी थीं, और आरएसएस या भाजपा से जुड़ी थीं?
शिंदे ने दिया ‘नो कमेंट’
इस मामले में तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से प्रतिक्रिया मांगी गई, लेकिन उन्होंने कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा –
“मैं इस विषय पर कुछ नहीं बोलना चाहता। नो कमेंट्स।”