सीजी भास्कर, 04 अप्रैल : अमेरिकी शेयर बाजार (Stock Market Crash) में भारी गिरावट आई है। गुरुवार रात, नैस्डैक में लगभग 6 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि डॉव जोन्स इंडेक्स में 1600 अंक, यानी करीब 4 प्रतिशत की कमी देखी गई। S&P 500 में भी लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इससे पहले, एक दिन में इतनी बड़ी गिरावट 16 मार्च 2020 को हुई थी।
अमेरिका में इस हाहाकार के बाद भारतीय बाजार में भी बड़ी गिरावट आई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के शेयरों में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। रिलायंस के शेयरों में इस गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक मंदी का खतरा माना जा रहा है।
4 अप्रैल को भारतीय शेयर बाजारों (Stock Market Crash) में भारी बिकवाली हुई। सेंसेक्स 930 अंक या 1.22 प्रतिशत गिरकर 75,364 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 भी 345 अंक या 1.49 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,904 पर समाप्त हुआ। इस गिरावट के चार प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ के बाद, चीन और कनाडा ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत और अन्य देशों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है। इसके जवाब में, कनाडा ने अमेरिकी वाहनों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध का संकट और गहरा हो गया है।
अमेरिका में S&P 500 इंडेक्स 5% और Nasdaq 5.5% की गिरावट के साथ 2020 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट का सामना कर रहा है। एशियाई बाजार भी प्रभावित हुए हैं, जहां जापान का निक्केई 3% और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 2% नीचे रहा।
अमेरिका में मंदी का सबसे बड़ा खतरा महंगाई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में महंगाई तेजी से बढ़ सकती है, क्योंकि अन्य देशों से आने वाले सामान की कीमतें अब अधिक होंगी, जिससे महंगाई में वृद्धि होगी। इसके अलावा, डॉलर इंडेक्स में भी गिरावट देखी जा रही है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है।
क्या बढ़ रहा मंदी का खतरा (Stock Market Crash)
ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के बाद वैश्विक बाजार (Stock Market Crash) में महंगाई बढ़ने की संभावना बढ़ गई है, जिससे मंदी का खतरा भी बढ़ता नजर आ रहा है। डॉयचे बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ब्रेट रयान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ट्रंप के टैरिफ के कारण इस साल अमेरिकी विकास दर में 1-1.5 प्रतिशत की कमी आ सकती है, जिससे मंदी का जोखिम काफी बढ़ सकता है। हालांकि, भारत में इस समय ऐसा कोई संकट नहीं है और देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं।