सीजी भास्कर, 2 नवंबर। शैक्षणिक संस्थानों में बढ़ती (Student Mental Health) समस्याओं और छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के सुझावों के आधार पर नई गाइडलाइन जारी की है। विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों, प्रशिक्षण केंद्रों, कोचिंग संस्थानों, आवासीय अकादमियों और छात्रावासों में इन नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए। समग्र शिक्षा राज्य परियोजना द्वारा 14 बिंदुओं में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
प्रदेश सरकार ने माना है कि कोविड-19 के दौरान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा नकारात्मक असर पड़ा, जिससे आत्महत्या के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन में स्कूल शिक्षा विभाग ने संस्थानों में (Student Mental Health) सहायता और सुरक्षा उपायों को लागू करने का निर्णय लिया है। इन उपायों का उद्देश्य छात्रों को मानसिक रूप से सशक्त बनाना और तनाव से निपटने के लिए उन्हें परामर्श उपलब्ध कराना है।
हर 100 छात्रों पर अनिवार्य होगा परामर्शदाता
नई गाइडलाइन के अनुसार, 100 या उससे अधिक छात्रों वाले सभी संस्थानों में अब प्रमाणित परामर्शदाता, मनोवैज्ञानिक या सामाजिक कार्यकर्ता की नियुक्ति अनिवार्य होगी। छोटे संस्थानों को बाहरी परामर्शदाताओं के साथ रेफरल सिस्टम तैयार करना होगा। वहीं, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्तर पर इग्नू से ‘गाइडेंस एंड काउंसलिंग डिप्लोमा’ प्राप्त शिक्षकों की सेवाएं भी ली जा सकेंगी।
निजी स्कूलों के लिए भी यह व्यवस्था लागू होगी। ऐसे स्कूलों को जरूरत पड़ने पर काउंसलरों की सेवाएं लेना अनिवार्य किया गया है। साथ ही, संस्थानों में लगे पंखों पर सुरक्षा उपकरण लगाने, छत और बालकनी तक छात्रों की पहुंच सीमित करने और छात्रावासों को उत्पीड़न से मुक्त रखने का निर्देश दिया गया है।
अब मेधावी छात्रों के लिए अलग बैच नहीं बनेगा
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी संस्थान में छात्रों की क्षमता या प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग बैच नहीं बनाए जाएंगे। विभाग का मानना है कि यह कदम (Student Mental Health) पर नकारात्मक असर डालता है और अनावश्यक प्रतिस्पर्धा को जन्म देता है। शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि इन दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
इसके साथ ही, छात्रावासों, कक्षाओं, सार्वजनिक स्थलों और संस्थानों की वेबसाइट पर हेल्पलाइन नंबर 8448440632 को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं। माता-पिता और अभिभावकों के लिए नियमित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की भी सिफारिश की गई है ताकि वे अपने बच्चों के व्यवहारिक बदलावों को समझ सकें और समय पर मदद कर सकें।
(Student Mental Health) जिला स्तर पर बनेगी निगरानी समिति
आत्महत्या रोकथाम उपायों के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय निगरानी समिति गठित की जाएगी। इसमें शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, आदिवासी विकास, समाज कल्याण, पुलिस, स्वास्थ्य और बाल संरक्षण विभागों के प्रतिनिधियों के अलावा कलेक्टर द्वारा नामित दो सिविल सोसायटी सदस्य और दो शिक्षाविद शामिल होंगे।
यह समिति छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गतिविधियों, रेफरल, प्रशिक्षण और हस्तक्षेपों का गोपनीय रिकॉर्ड रखेगी और हर साल उसकी रिपोर्ट तैयार करेगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी छात्र मानसिक दबाव के कारण आत्मघाती कदम उठाने की स्थिति में न पहुंचे।
इन दिशा-निर्देशों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि हर शिक्षण संस्थान में ऐसा माहौल तैयार हो, जहां छात्र न केवल सुरक्षित महसूस करें बल्कि उन्हें अपने विचार और समस्याएं साझा करने की स्वतंत्रता भी मिले। शिक्षा विभाग का कहना है कि यदि छात्रों को समय पर उचित परामर्श और सहयोग मिले, तो आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं को रोका जा सकता है।
