सीजी भास्कर, 2 सितंबर : भारत और रूस के बीच गहरी हो रही रणनीतिक साझेदारी के बीच रक्षा क्षेत्र में नया अध्याय जुड़ने वाला है। रूस इस समय यह आकलन कर रहा है कि भारत में अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (SU-57 Fighter Jet in India) बनाने के लिए कितना निवेश करना पड़ेगा। भारत ने पहले ही स्पष्ट किया है कि उसे कम से कम दो से तीन स्क्वाड्रन पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है। इस दौड़ में रूसी एसयू-57 और अमेरिकी एफ-35 दोनों मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को पहले ही नासिक संयंत्र में एसयू-30 एमकेआइ लड़ाकू विमानों के निर्माण का लाइसेंस मिल चुका है। सूत्रों का कहना है कि आवश्यकता पड़ने पर यही संयंत्र (SU-57 Fighter Jet in India) विमानों के निर्माण में उपयोग हो सकता है। इसके अलावा देश के अन्य उत्पादन केंद्र, जहां रूसी उपकरण बनाए जाते हैं, उन्हें भी पांचवीं पीढ़ी के विमान निर्माण में शामिल किया जा सकता है। इससे लागत कम करने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सूत्रों ने यह भी बताया कि रूस की संबंधित एजेंसियां भारत में संभावित निवेश का अध्ययन कर रही हैं। वहीं, हाल के वर्षों में दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुई बैठकों में एस-500 और एस-400 जैसी अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के साथ-साथ अन्य रक्षा उपकरणों की खरीद पर चर्चा हो चुकी है। रूसी पक्ष लगातार भारत से (SU-57 Fighter Jet in India) खरीदने का आग्रह करता रहा है।
उधर, अमेरिका भी भारत के साथ एफ-35 सौदे को आगे बढ़ाने की कोशिशों में जुटा है। इसके बावजूद भारत ने रूस से दूरी बनाने के दबाव को ठुकरा दिया है। यहां तक कि रूस से तेल खरीदने पर अमेरिकी पाबंदियों का सामना करने के बावजूद भारत अपने रणनीतिक फैसलों पर अडिग रहा। इस बीच भारत स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना पर भी काम कर रहा है, जिसे पिछले वर्ष मंजूरी दी गई थी।