सीजी भास्कर, 3 सितंबर। माओवादी हिंसा प्रभावित सुकमा जिले में सुरक्षा बलों को बड़ी उपलब्धि मिली है। बुधवार को कुल 20 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 33 लाख रुपये का इनामी भी शामिल है। आत्मसमर्पण करने वालों में 9 महिलाएं और 11 पुरुष शामिल हैं। इस मौके पर सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के द्वितीय कमान अधिकारी सुरेश सिंह उपस्थित रहे। यह (Sukma Maoist Surrender 2025) घटना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलते माहौल को दर्शाती है।
पुलिस ने बताया कि आत्मसमर्पण जिला रिजर्व गार्ड (DRG), जिला बल और सीआरपीएफ की 111वीं, 217वीं, 218वीं, 226वीं बटालियनों के साथ-साथ कोबरा की 203 बटालियन के संयुक्त प्रयासों से संभव हो सका। लंबे समय से चल रहे अभियानों, सुरक्षा बलों के दबाव और स्थानीय स्तर पर चलाए गए विकास कार्यों ने माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी संगठन की विचारधारा से निराश हो गए थे। उन्होंने स्थानीय जनजातियों पर हो रहे अत्याचार, महिलाओं और युवाओं का शोषण तथा विकास कार्यों में बाधा को मुख्य कारण बताया। इसके अलावा राज्य सरकार की ‘नियाद नेल्लनार’ योजना और पुनर्वास नीति ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई। यह (Chhattisgarh Maoist Rehabilitation Policy) पहल माओवादियों को मुख्यधारा में लाने का सफल प्रयास साबित हो रही है।
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। उन्हें आर्थिक मदद, पुनर्वास पैकेज और स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही उन्होंने अन्य माओवादियों से भी हथियार छोड़कर शांति और विकास की राह अपनाने की अपील की। यह (Maoist Surrender Impact on Security Forces) कदम न केवल क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि स्थानीय जनता के बीच विश्वास भी बढ़ाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ते आत्मसमर्पण से माओवादियों का जनाधार कमजोर हो रहा है। यह (Naxal Affected Areas Surrender Case) मामला साबित करता है कि सरकार की नीतियां और सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयास धीरे-धीरे सफल हो रहे हैं और छत्तीसगढ़ नक्सल मुक्त भविष्य की ओर बढ़ रहा है।