सीजी भास्कर, 17 जुलाई | तेंदूपत्ता संग्राहकों के बोनस में हुए करोड़ों के घोटाले की परतें अब खुलने लगी हैं। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में लघु वनोपज सहकारी समितियों और वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से करीब 3.92 करोड़ रुपये का गबन किया गया। यह खुलासा आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) की 4500 पन्नों की चार्जशीट में हुआ है।
बोनस की रकम कैश में देने की योजना बनी, वहीं से शुरू हुआ खेल
सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों को नकद में बोनस देने की व्यवस्था की थी। इसी योजना का फायदा उठाकर समिति प्रबंधकों और अफसरों ने बड़ी रकम निकालकर आपस में बांट ली। आरोप है कि यह पैसा पत्रकारों, नेताओं और कुछ अफसरों की जेब तक पहुंचा।
चार्जशीट के खुलासे चौंकाने वाले
EOW की रिपोर्ट के अनुसार:
- तत्कालीन DFO अशोक कुमार पटेल को ₹91.90 लाख मिले।
- स्थानीय नेताओं को ₹7.5 लाख और पत्रकारों को ₹5.9 लाख दिए गए।
- समिति प्रबंधकों ने अपने निजी खर्चों पर ₹2.82 करोड़ उड़ाए।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
EOW को मुखबिर से सूचना मिली कि सुकमा जिले में तेंदूपत्ता बोनस वितरण में बड़ी गड़बड़ी हो रही है। इसके बाद गुप्त जांच शुरू हुई और फिर छापेमारी कर 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
किन पर हुई कार्रवाई?
- आरोपी: तत्कालीन DFO अशोक कुमार पटेल
- 4 अन्य वनकर्मी
- 7 प्राथमिक वनोपज समिति प्रबंधक
- कुल आरोपी: 14
इन सभी पर भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, और आपराधिक षड्यंत्र के तहत FIR दर्ज की गई है।
कैसे चल रही थी ‘कमीशन सिंडिकेट’?
EOW की जांच में सामने आया कि DFO अशोक पटेल ने अलग-अलग क्षेत्रों की समितियों से कमीशन वसूला:
- नक्सल और दुर्गम क्षेत्र की समितियों से 50%
- सुलभ क्षेत्रों से 10–15%
किन इलाकों में हुआ गबन?
यह गड़बड़ी मुख्यतः आदिवासी और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हुई, जैसे:
गोलापल्ली, मरईगुड़ा, किस्टाराम, चिंतलनार, भेज्जी, जगरगुंडा और पोलमपल्ली।
यहां के कई ग्रामीणों को स्कीम की जानकारी तक नहीं थी। यानि बोनस की रकम कभी संग्राहकों तक पहुंची ही नहीं।